मूंग की खेती में रसायनों का बेतहाशा उपयोग एक बढ़ता खतरा
19 मई 2025, भोपाल: मूंग की खेती में रसायनों का बेतहाशा उपयोग एक बढ़ता खतरा – ‘ग्रीष्मकालीन मूंग में खरपतवारनाशकों का उपयोग कम करें। इन रसायनों के उपयोग से लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जैविक खेती को बढ़ावा देने से न केवल किसानों को अपनी फसलों के बेहतर दाम मिलेंगे, बल्कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होगा।’ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
कृषि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मूंग की खेती में रसायनों का अत्यधिक उपयोग न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है। मूंग की खेती अब खरीफ मौसम के बजाय गर्मियों में की जा रही है, जिससे भू-जल स्तर का दोहन बढ़ रहा है और बिजली की खपत भी अधिक हो रही है।
किसानों की लापरवाही और उसके परिणाम
किसानों द्वारा ग्रीष्मकालीन मूंग को जल्दी सुखाने के लिए खरपतवारनाशक पैराक्वेट एवं ग्लाइफोसेट का उपयोग किया जा रहा है, जिसका दुष्प्रभाव वातावरण और मूंग का सेवन करने वाले आमजन पर भी पड़ता है। इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों के बढऩे की संभावना होती है।
समाधान की दिशा में कदम
वैज्ञानिकों का सुझाव है कि किसानों को खेती के लिए अधिक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है कि ग्रीष्मकालीन मूंग में कीटनाशक एवं खरपतवारनाशक का उपयोग न के बराबर किया जाए। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी, बल्कि मानव स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा।
महत्वपूर्ण सुझाव
- मूंग खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग कम से कम करें।
- प्राकृतिक रूप से पकने वाली मूंग में खरपतवारनाशक का उपयोग न करें।
- अधिक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल पद्धतियों को अपनाएं।
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए सूक्ष्म जीवों का संरक्षण करें।
किसानों के लिए सुझाव
- फसल की प्रारम्भिक अवस्था में खरपतवार नियंत्रण करना आवश्यक है।
- फसल चक्र को अपनाकर और अंत: फसल प्रणाली का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- जैविक कीटनाशकों का उपयोग करके कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- पीला चिपचिपा ट्रेप लगाकर पीला विषाणु रोगग्रस्त पौधों को नियंत्रित किया जा सकता है।
आइए, हम सब मिलकर मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण और कीट नियंत्रण के प्रभावी तरीकों को अपनाएं और फसल की उपज में वृद्धि करें।
वर्ष 2024-25
समर्थन मूल्य – रू. 8682 प्रति क्विंटल
लागत – रू. 5788 प्रति क्विंटल
मध्य प्रदेश में मूंग के टॉप 5 जिले
मध्य प्रदेश में मूंग के टॉप 5 जिले | |
जिला | क्षेत्र (हे. में) |
नर्मदापुरम | 250000 |
रायसेन | 150000 |
हरदा | 146000 |
नरसिंहपुर | 120000 |
सीहोर | 100000 |
मूंग में खरपतवार नियंत्रण:
एक प्रभावी तरीका
मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे फसल की उपज में वृद्धि हो सकती है और किसानों को आर्थिक लाभ हो सकता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ प्रभावी तरीके निम्नलिखित हैं:
खरपतवार नियंत्रण के तरीके
- गहरी जुताई : शुद्ध बीजों का प्रयोग और गहरी जुताई करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- हाथ द्वारा निराई-गुड़ाई : फसल की प्रारम्भिक अवस्था में हाथ द्वारा निराई-गुड़ाई करना एक सरल और प्रभावी तरीका है।
- अंतरवर्तीय फसल लगाएं : फसल चक्र को अपनाकर और अंत में फसल प्रणाली का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- यांत्रिक विधियां : इंटरकल्चर अभ्यास हाथ, बैल या ट्रैक्टर द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के साथ भी किया जा सकता है।
- मूंग के कीट : सफेद मक्खी, माहू, सेमी लूपर, तम्बाकू की इल्ली, बिहार काम्बलिया कीट, फल्ली छेदक।
अंतरवर्तीय फसल लगाएं
प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि एक ही फसल को बार-बार एक ही खेत में न लगाएं । फसल चक्र को अपनाकर खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है। अंत: फसल प्रणाली जैसे अरहर के साथ ज्वार व मूंग की फसल को लगाकर भी खरपतवार के प्रकोप को कम कर सकते हैं।
आइए, हम सब मिलकर पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार बनें और मूंग की खेती में रसायनों का उपयोग कम से कम करें।
मध्य प्रदेश में वर्ष 2025 में प्रदेश में लगभग 11 लाख 59 हजार हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूंग बुवाई का लक्ष्य था। अभी तक 10 लाख हेक्टेयर से अधिक में बुवाई हो गई है।
रासायनिक खेती जेब पर भारी
रासायनिक पद्धति से एक एकड़ में मूंग की खेती की लागत लगभग 15 से 20 हजार रुपये तक आ सकती है। उत्पादन आमतौर पर 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।
जैविक मूंग की औसत लागत
जैविक पद्धति से एक एकड़ में मूंग की खेती करने में 12 से 15 हजार रुपए की लागत आ सकती है। उत्पादन रासायनिक खेती की अपेक्षा 1 से डेढ़ क्विंटल उत्पादन कम प्राप्त होता है। इस पद्धति से एक एकड़ में लगभग 3 से 4 क्विंटल उत्पादन की प्राप्ति ही होती है। पर बाजार में जैविक मूंग के दाम अन्य मूंग से अधिक मिलते हैं।
क्या करते हैं रासायनिक खेती करने वाले ?
सिवनी-मालवा क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक दुर्गा प्रसाद लोवंशी के अनुसार मूंग फसल में बोनी हेतु मूंग 15 किग्रा, डीएपी 20 किग्रा, खरपतवारनाशक बोनी के समय – पेंडीमिथालीन 30 प्रतिशत + इमिजाथाइपर 2 प्रतिशत या 12 से 15 दिन बाद खरपतवारनाशक डालते हैं। इसमें कीटनाशक प्रोफेनोसाइपर + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल + थायोक्सम तीनों मिश्रण के चार स्प्रे लगभग होते हैं एवं इनके साथ 20 से 25 दिन की फसल में फफूंदनाशक थियोफेनेट मिथाइल मिलाकर एक साथ स्प्रे करते हैं। 60 दिन पर फसल पकने के समय सुखाते हैं। पैराक्वाट (सफाया) डालते हैं जिससे फसल 12 घंटे में सूख जाती है और हार्वेस्टर से आसानी से कट जाती है।
एकीकृत कीट नियंत्रण के तरीके
- जैविक कीटनाशक: जैविक कीटनाशक बोवेरिया बेसियाना और वर्टिसेलियम लेकैनी का उपयोग करके कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है।
- फेरोमोन ट्रेप: फेरोमोन ट्रेप 10 से12 प्रति हेक्टेयर लगाकर कीट प्रकोप का आकलन कर उनकी संख्या कम करें।
अंडे व इल्लियों के समूह को इकठ्ठा कर नष्ट कर दें। 40-50 खूंटियां (3-5 फीट ऊँची) प्रति हेक्टेयर पक्षियों के बैठने लिए फसल की शुरुआत से ही लगायें, जिन पर पक्षी बैठ कर इल्लियाँ खा सकें। निरंतर फसल की निगरानी करते रहें। कीट की संख्या आर्थिक क्षति स्तर से ऊपर होने पर सिफारिश अनुसार ही कीटनाशक का छिड़काव करें। जैविक कीटनाशक बोवेरिया बेसियाना 400 मिली/ एकड़ का उपयोग करें।
पीला चिपचिपा ट्रेप: पीले विषाणु रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ कर जला दें। पीले चिपचिपे ट्रेप का उपयोग करें चाहे तो इन्हें घर पर भी बना सकते हैं टीन की प्लेट या चादर में पीले रंग का पेंट करके उसमें ग्रीस या सरसों का तेल लगाकर उपयोग कर सकते हैं इन्हें प्रति एकड़ 20 से 25 ट्रेप उपयोग किये जा सकते हैं। जैविक कीटनाशी वर्टिसेलियम लेकैनी का छिड़काव करें।
जैविक मूंग कृषक की कहानी
एक एकड़ में 10 से 12 किलो बीज बोने पर ढाई क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन मिलता है। अन्य मूंग फसल से 30 फीसदी अधिक इसका दाम मिलता है। परन्तु इसको बेचने के लिए स्वयं बाजार ढंूढना पड़ता है। इस वर्ष 8 एकड़ में मूंग लगाई है। कीटनाशक नीम तेल का स्प्रे एवं प्रोम खाद/वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करते हैं।
हेमन्त दुबे (प्रगतिशील कृषक), ग्रा.- जमानी, जिला- नर्मदापुरम (म.प्र.), मो.: 9425040310
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