किसानों की आमदनी बढ़ाएगी स्ट्रॉबेरी की खेती, बिहार सरकार दे रही 3 लाख तक की मोटी सब्सिडी
04 अक्टूबर 2025, भोपाल: किसानों की आमदनी बढ़ाएगी स्ट्रॉबेरी की खेती, बिहार सरकार दे रही 3 लाख तक की मोटी सब्सिडी – बिहार के किसानों के लिए खुशखबरी है। अब परंपरागत फसलों के बजाय बागवानी की ओर बढ़ते किसानों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसी क्रम में बिहार सरकार ने स्ट्रॉबेरी विकास योजना (2025-26) की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य राज्य में स्ट्रॉबेरी की खेती को प्रोत्साहित करना और किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है।
स्ट्रॉबेरी एक सर्द जलवायु वाली फसल मानी जाती है, लेकिन अब उन्नत तकनीकों और बेहतर किस्मों के कारण इसे बिहार जैसे राज्य में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। सरकार इस योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 3.20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है, जिससे खेती का खर्च घटेगा और मुनाफा बढ़ेगा।
किन किसानों को मिलेगा योजना का लाभ?
स्ट्रॉबेरी विकास योजना को राज्य के 12 जिलों में शुरू किया गया है। इसमें बांका, लखीसराय, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना, पूर्णिया, समस्तीपुर और वैशाली जिले शामिल हैं। इन जिलों के किसान इस योजना का लाभ उठाकर स्ट्रॉबेरी की उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं।
कितनी और किस चीज पर मिलेगी सब्सिडी?
कृषि विभाग के अनुसार, स्ट्रॉबेरी की खेती की अनुमानित लागत प्रति हेक्टेयर 7.56 लाख रुपये मानी गई है। इसमें किसानों को 40% यानी 3.20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा, स्ट्रॉबेरी की पैकेजिंग सामग्री जैसे कूट के डब्बे और प्लास्टिक डिब्बों पर भी लागत का 40% अनुदान मिलेगा। इससे न केवल उत्पादन बल्कि मार्केटिंग में भी किसानों को राहत मिलेगी।
आवेदन प्रक्रिया क्या है?
जो किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें बिहार सरकार की आधिकारिक हॉर्टिकल्चर वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। वेबसाइट पर जाकर ‘स्ट्रॉबेरी विकास योजना’ को चुनें और रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें। साथ ही, अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिले के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें?
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी और 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। खेती के दौरान रासायनिक खादों की जगह वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद का उपयोग करना अधिक लाभदायक होता है। किसान मल्चिंग, लो टनल या पॉलीहाउस तकनीक का इस्तेमाल कर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बढ़ा सकते हैं।
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