राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

 कामयाब किसान की कहानी, जीवन सिंह ने लिया अश्वगंधा का रिकॉर्ड उत्पादन

1 बीघा 3 बिस्वा में  मिला 11 क्विंटल 25 किलो 500 ग्राम का उत्पादन

26 जुलाई 2025, इंदौर: कामयाब किसान की कहानी, जीवन सिंह ने लिया अश्वगंधा का रिकॉर्ड उत्पादन – किसी भी कार्य को यदि मेहनत और लगन के साथ किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। इस बात को साबित किया है इंदौर जिले की सांवेर तहसील के ग्राम भोंडवास के उन्नतशील कृषक श्री जीवन सिंह पिता  इंदर सिंह परमार ने।  विगत 5 वर्षों से औषधीय फसलों की खेती करने वाले श्री परमार ने वर्ष 2024 में रकबा 0.280  हेक्टेयर (1 बीघा 3 बिस्वा ) में लगाई अश्वगंधा से 11 क्विंटल 25  किलो 500 ग्राम का रिकॉर्ड उत्पादन लिया है, जो इंदौर जिले के साथ ही मध्य प्रदेश के लिए भी गर्व की बात है।

श्री परमार ने कृषक जगत को बताया कि पहले साल अश्वगंधा की सिम पुष्टि किस्म सीमेप लखनऊ से मंगवाई थी। इसी किस्म को 6 अक्टूबर 2024 को रकबा 0.280  हेक्टेयर (1 बीघा 3 बिस्वा ) में लगाया था। तीन बार कल्टीवेटर से गहरी जुताई के बाद छोटी – छोटी क्यारियां बनाई।गोबर खाद , एसएसपी और  पोटाश खाद का उपयोग किया। बीजोपचार के बाद अश्वगंधा बीज की बुवाई भुरकाव ( छिड़काव ) विधि से की।  बुवाई के तुरंत बाद पहला पानी धीमी गति से दिया। दूसरा पानी 5 -7  दिन में दे देना चाहिए। हल्की वर्षा होने से दूसरे पानी की ज़रूरत नहीं पड़ी। अश्वगंधा फसल में पहला खरपतवार प्रबंधन फसल की 20 -25  दिन की अवस्था में और दूसरा 40 -45  दिन की अवस्था में  करना चाहिए। अश्वगंधा फसल में ज़्यादा कीट प्रकोप नहीं होता है। आकस्मिक वर्षा से रोगों का प्रकोप  के नियंत्रण के लिए  पहले नीम तेल और दूसरा छिड़काव इमिडाक्लोप्रिड और रेडोमिन गोल्ड फफूंदनाशक का किया था। उन्होंने बताया कि अश्वगंधा की फसल 135  दिन के बाद पककर तैयार हो जाती है , जिसकी  135 -150  दिन के बीच हार्वेस्टिंग की जा सकती है।फसल पकने की पहचान जड़ उखाड़ने पर वह टूट जाती है  और बीज पककर पीले पड़ जाते हैं। कहा कि प्रशिक्षण में सिखाया था कि फसल काटने के बाद हाथों हाथ जड़ को काट कर ए, बी सी, डी अनुसार ग्रेडिंग कर लेनी चाहिए। जितनी अच्छी ग्रेडिंग  होगी , उतना अच्छा दाम मिलेगा। अश्वगंधा की जड़ों को पानी से धोने के बाद छांव में सुखाकर फिर कपड़े से घिसाई की जाती है। इससे फसल साफ दिखाई देती है

श्री  जीवन सिंह  ने कहा कि औषधीय फसलों के नीमच मंडी में अच्छे दाम मिलते हैं , इसलिए नीमच जाकर अश्वगंधा फसल को बेचा। अश्वगंधा की फसल में कुल खर्च 55,250 रु आया। ए ग्रेड अश्वगंधा (वजन 9.08 क्विंटल  ) का भाव 29 ,900 ,बी ग्रेड (वजन 67.5  किलो)  का भाव 23 ,900  और सी ग्रेड ( वजन 0.17  किलो ) का भाव 20,000  रु क्विंटल मिला। अश्वगंधा की बारीक जड़ों  (तार ) वजन 82 किलो का भाव 16 ,300 रु और वजन 51 किलो का भाव 16, 801 / क्विंटल की दर से मिला। फसल का कुल वजन 11 क्विंटल 25 किलो 500  ग्राम आया । 11 क्विंटल भूसा निकला जो 700  रु /क्विंटल के भाव बिका। अश्वगंधा फसल से 3,12 ,570 रु और भूसे के 7,700 रु मिलाकर कुल 3,20 ,270  प्राप्त हुए। इसमें से कुल खर्च 55,250 रु घटाने पर शुद्ध लाभ 2,65 ,020 रु का हुआ।  

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