राजोदा में सोयाबीन दिवस का आयोजन किया
26 सितम्बर 2025, इंदौर: राजोदा में सोयाबीन दिवस का आयोजन किया – मध्य प्रदेश शासन तथा ICAR-राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित ‘मध्यप्रदेश में सोयाबीन – गेहूं फसल प्रणाली की उत्पादकता में वृद्धि हेतु शीघ्र एवं मध्यम समय अवधि वाली सोयाबीन किस्मों का प्रदर्शन ‘ परियोजना के अंतर्गत गुरुवार को ग्राम राजोदा, तहसील सांवेर, जिला इंदौर में “कृषक प्रशिक्षण एवं सोयाबीन दिवस” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ के. एच. सिंह , प्रधान वैज्ञानिक एवं संयोजक डॉ बी. यू. दुपारे, वैज्ञानिक डॉ लोकेश मीणा, डॉ राघवेंद्र एवं डॉ राकेश कुमार वर्मा तथा परियोजना निदेशक आत्मा, इंदौर शर्ली थॉमस मौजूद थे।
डॉ सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के अधिकतर किसान शीघ्र समयावधि वाली किस्मों की खेती करते है। यदि वे इन किस्मों के साथ – साथ मध्यम समय अवधि वाली किस्में जैसे जे.एस. 21-72 या एनआरसी 142 को भी शामिल करें , तो वर्तमान में आ रही मौसम की विषम परिस्थितियों में किसानों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि विगत सप्ताह उन्होंने महाराष्ट्र के परभणी क्षेत्र का भ्रमण किया, जहां तकनीकी के साथ – साथ सस्य क्रियाओं के सफल प्रबंधन से किसान औसत रूप से 25-30 क्विंटल आसानी से प्राप्त कर रहे हैं। अतः मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादकता में वृद्धि हेतु भिन्न भिन्न समय अवधि में पकने वाली किस्मों की खेती की जानी चाहिए।
डॉ दुपारे ने अतिथियों एवं कृषकों का स्वागत करते हुए बताया कि राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान पिछले वर्ष से मध्य प्रदेश के मालवा एवं निमाड़ संभाग के कुल 18 जिलों में इस परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में 10 प्रदर्शनों का आयोजन कर रहा है, जिसमे पिछले वर्ष शीघ्र पकने वाली किस्म NRC 130 की तुलना में मध्यम समय अवधि वाली किस्म NRC 142 के उत्पादन में न्यूनतम 2 क्विंटल से लेकर 8 क्विंटल अधिक उत्पादन का अंतर पाया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष संस्थान द्वारा विकसित कम समय अवधि वाली किस्म NRC 150 एवं मध्यम समय अवधि वाली आरवीएस 24 किस्म को कुल 180 किसानों के खेतों पर प्रदर्शित किया जा रहा है। तकनीकी सत्र में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ मीणा, डॉ राघवेंद्र एवं डॉ वर्मा तथा श्रीमती थॉमस ने सोयाबीन की खेती में खरपतवार, कीट, रोग प्रबंधन सहित प्रसंस्करण एवं घरेलू खाद्य उपयोग हेतु उपयुक्त तकनीक और उन्नत पद्धतियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन श्री श्याम किशोर वर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ वर्मा द्वारा किया गया।
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