राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

सराफ के सुर्ख टमाटरों का उत्कृष्ट उत्पादन बना सुर्खियां

07 दिसंबर 2024, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर): सराफ के सुर्ख टमाटरों का उत्कृष्ट उत्पादन बना सुर्खियां – कहते हैं टमाटर का रोज़ाना सेवन करने से सेहत अच्छी रहती है और गाल टमाटर की भांति सुर्ख हो जाते हैं। खरगोन जिले के कसरावद निवासी श्री शरद उर्फ शंभू सराफ क्षेत्र के ऐसे उन्नत कामयाब किसान हैं, जिनके द्वारा परम्परागत खेती को गौण रखकर प्रति वर्ष गुणवत्तायुक्त सुर्ख टमाटर का उत्कृष्ट उत्पादन प्राथमिकता से लिया जाता है,जो क्षेत्र में सुर्खियां बन जाता है। गत वर्ष इन्होंने 4 एकड़ में लगाए टमाटर से करीब 2300 क्रेट / एकड़ का उत्पादन लेकर 40 लाख रु का शुद्ध मुनाफा कमाया था। क्षेत्र के टमाटर उत्पादक किसानों के लिए श्री सराफ प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

टमाटर से मिला 40 लाख का मुनाफा -70 वर्षीय श्री शरद सराफ क्षेत्र में शम्भू के नाम से पहचाने जाते हैं। सामाजिक गतिविधियों में सदैव सक्रिय रहने वाले श्री सराफ ने कृषक जगत को बताया कि नवंबर 2014 में जनपद पंचायत सेगांव से बीडीओ पद से सेवा निवृत होने के बाद खेती की तरफ रुझान बढ़ा और उद्यानिकी फसल में टमाटर को प्राथमिकता दी। श्री सराफ ने बताया कि वे रासायनिक खेती करते हैं। कोशिश यही रहती है कि हर फसल का गुणवत्तायुक्त उत्पादन लिया जाए , ताकि  उपभोक्ता संतुष्ट रहे। इस वर्ष  5 और 3 एकड़ के दो अलग – अलग प्लाटों में टमाटर की ऋषिका किस्म 26 सितंबर और 21 अक्टूबर को लगाई थी। एक में 15 दिन में और दूसरे में 14 जनवरी के बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा। अभी तारों की बंधाई का कार्य चल रहा है। गत वर्ष भी टमाटर की ऋषिका किस्म 4 एकड़ में लगाई थी। औसत उत्पादन करीब 2300 क्रेट / एकड़ का मिला था । लागत खर्च 4 लाख आया और शुद्ध मुनाफा 40 लाख रु का हुआ था । गत जून में एक एकड़ में पहली बार पपीता के एक हज़ार पौधे भी लगाए हैं।

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सोयाबीन खरीदी में नमी बनी रोड़ा – श्री सराफ के पास करीब 20 गाय – भैंस  के साथ दो जोड़ी बैल की पशु सम्पदा भी है। गाय -भैंस से रोज़ाना करीब 40 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसे डेयरी में भेज दिया जाता है। परम्परागत खेती में इस वर्ष खरीफ में 3 एकड़ में सोयाबीन लगाया था, जिसका कुल 22 क्विंटल उत्पादन हुआ था। लेकिन सरकारी खरीदी केंद्र भीलगांव द्वारा सोयाबीन में 12 % से अधिक नमी बताकर खरीदने से इंकार कर दिया, जबकि केंद्र सरकार ने 15 % तक नमी वाली सोयाबीन खरीदी के आदेश दिए हैं। लेकिन यह संशोधित आदेश खरीदी केंद्रों तक नहीं पहुंचा है। वैसे भी सरकार समर्थन मूल्य पर एक किसान से 12 क्विंटल / हेक्टेयर ही सोयाबीन खरीद रही है , ऐसे में शेष बची उपज को किसान एमएसपी से कम कीमत पर  बेचने को मजबूर हैं । इस साल रबी में 3 एकड़ में गेहूं-चना भी लगाया है। सिंचाई के लिए कुआँ , ट्यूबवेल और नदी के जल स्रोत हैं।

टमाटर की खेत से ही बिक्री – श्री सराफ ने बताया कि टमाटर के खरीदार व्यापारी मप्र के अलावा कन्नौज ,आज़ादपुर मंडी ( दिल्ली ) बेंगलुरु और चेन्नई से आते हैं, जिन्हें टमाटर की उपज का भाव करके खेत से ही बेच दिया जाता है। इससे परिवहन खर्च बच जाता है। आज़ादपुर  मंडी में  टमाटर हमारे नाम से हाथोहाथ बिक जाता है। श्री सराफ को इस बात का मलाल है कि टमाटरों का इतना उत्कृष्ट उत्पादन लेने के बावजूद भी उद्यानिकी विभाग से अभी तक कोई सहयोग अथवा मार्गदर्शन नहीं मिला है।

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