राजस्थान के किसानों को राहत, कटाई के बाद बारिश से खराब हुई फसल मिलेगा मुआवजा, 72 घण्टे में देनी होगी सूचना
04 अक्टूबर 2025, भोपाल: राजस्थान के किसानों को राहत, कटाई के बाद बारिश से खराब हुई फसल मिलेगा मुआवजा, 72 घण्टे में देनी होगी सूचना – राजस्थान शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी राजन विशाल ने बताया कि राज्य में वर्तमान में हो रही बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि, चक्रवर्ती वर्षा एवं चक्रवात से कटाई के बाद 14 दिन तक की अवधि तक खेत में सुखाने के लिए रखी फसल खराब होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत नुकसान की भरपाई हो सकेगी, जिसके लिए प्रभावित बीमित फसल के काश्तकार को 72 घंटे के भीतर खराबे की सूचना कृषि रक्षक पोर्टल एवं हेल्पलाइन नंबर 14447 पर देनी होगी। कृषि विभाग ने बीमा कंपनियों को प्राप्त सभी इंटीमेशन का तत्काल सर्वे कर कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं।
सचिव विशाल ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत असामयिक वर्षा के कारण फसल कटाई उपरान्त खेत में सुखाने के लिए रखी फसल को 14 दिन की अवधि में नुकसान होने पर व्यक्तिगत आधार पर बीमा आवरण उपलब्ध है। असामयिक वर्षा से प्रभावित काश्तकारों के लिए बीमित फसल के नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर जिले में कार्यरत बीमा कम्पनी को देना जरूरी है, ताकि नुकसान का आकलन कर बीमा क्लेम देने की कार्यवाही की जा सके। फसल में हुए नुकसान की सूचना कृषि रक्षक पोर्टल एवं हेल्पलाइन नंबर 14447 दी जा सकती है। इसके अलावा प्रभावित किसान जिले में कार्यरत बीमा कम्पनी, नज़दीकी कृषि कार्यालय अथवा सम्बन्धित बैंक को भी हानि प्रपत्र भरकर सूचना दे सकते है।
उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारियों एवं बीमा कंपनियों को तत्काल फील्ड में पहुंचकर फसल खराबे का सर्वे प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं, ताकि प्रभावित किसानों को बीमित फसलों के नुकसान का क्लेम दिलवाकर राहत प्रदान की जा सके।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture