राज्य कृषि समाचार (State News)

राजस्थान की फसलों को मिलेगा GI टैग: जयपुर में कार्यशाला, जानें क्या है प्लान

06 अप्रैल 2025, जयपुर: राजस्थान की फसलों को मिलेगा GI टैग: जयपुर में कार्यशाला, जानें क्या है प्लान – राजस्थान में खेती, बागवानी और मसाला फसलों को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) दिलाने के लिए शुक्रवार को जयपुर के पंत कृषि भवन में एक कार्यशाला हुई। शासन सचिव (कृषि एवं उद्यानिकी) राजन विशाल की अगुवाई में आयोजित इस दिनभर के कार्यक्रम में विशेषज्ञों, कृषि विश्वविद्यालयों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसका मकसद राज्य के खास उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाना है, लेकिन ये कितना कारगर होगा, ये आगे चलकर ही पता चलेगा।

शासन सचिव राजन विशाल ने बताया कि राजस्थान में अभी 16 उत्पादों और 5 कलाओं को GI टैग मिला हुआ है। इसमें सोजत की मेहंदी और बीकानेरी भुजिया जैसे नाम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अब ‘पंच गौरव’, ‘एक जिला एक उत्पाद’ और इलाके विशेष के कृषि उत्पादों को भी GI टैग दिलाने की कोशिश होगी। इसके लिए एक हाई-लेवल कमेटी बनाई जा रही है, जिसमें कृषि, बागवानी, विपणन और विश्वविद्यालयों के लोग शामिल होंगे। यह कमेटी खास उत्पादों की लिस्ट तैयार कर टैग की प्रक्रिया शुरू करेगी।

Advertisement
Advertisement

GI टैग से क्या फायदा?

विशाल के मुताबिक, GI टैग मिलने से उत्पादों को दुनिया में अलग पहचान मिलती है। इससे मांग बढ़ती है और किसानों को बेहतर दाम मिलने की संभावना रहती है। GI टैग किसी इलाके के खास उत्पाद को प्रमाणित करता है, जिससे उसकी नकल रोकने में मदद मिलती है। यह टैग 10 साल के लिए वैध होता है और बाद में रिन्यू करवाया जा सकता है। हालांकि, ये प्रक्रिया कितनी आसान या जटिल होगी, ये किसानों के लिए अहम सवाल है।

कैसे मिलता है GI टैग?

GI टैग के लिए कोई एसोसिएशन, समूह या सरकारी संस्था आवेदन कर सकती है। यह टैग हस्तशिल्प, खाद्य पदार्थ, औद्योगिक सामान और कृषि उत्पादों के लिए दिया जाता है। कार्यशाला में मौजूद विशेषज्ञ डॉ. सुजीत कुमार यादव और डॉ. विकास पावड़िया ने भी इस पर चर्चा की। लेकिन आवेदन की प्रक्रिया और उसकी शर्तें छोटे किसानों के लिए कितनी सुलभ होंगी, इस पर अभी साफ तस्वीर नहीं है।

Advertisement8
Advertisement

कार्यशाला में आयुक्त कृषि चिन्मयी गोपाल, निदेशक कृषि विपणन राजेश कुमार चौहान और महाप्रबंधक रविन्द्र कुमार के अलावा कई अधिकारी शामिल हुए। संभागों और जिलों से अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े।

Advertisement8
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement