राज्य कृषि समाचार (State News)

रायपुर: प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत दलहनी-तिलहनी फसलों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन

17 अक्टूबर 2025, रायपुर: रायपुर: प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत दलहनी-तिलहनी फसलों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन – प्रधानमंत्री-अन्नदाता आय संरक्षण अभियान PM-AASHA के अंतर्गत प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत गत वर्ष राज्य के 18 जिलों में 152 उपार्जन केन्द्र स्थापित किए गए थे। इन केन्द्रों का उद्देश्य कृषकों को दलहनी एवं तिलहनी फसलों का विक्रय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित कराना है।

कृषि विभाग खैरागढ़ के उपसंचालक राजकुमार सोलंकी ने बताया कि इस योजना के तहत राज्य में उत्पादित अरहर, उड़द एवं मसूर फसलों का शत-प्रतिशत उपार्जन तथा मूंगफली, सोयाबीन, मूंग, चना और सरसों का 25 प्रतिशत उपार्जन किया जाता है। केन्द्र सरकार की प्रापण संस्थाएं नाफेड एवं एन.सी.सी.एफ. इस कार्य को संचालित करती हैं।     कृषकों को इस योजना का लाभ दिलाने के लिए जनजागरूकता बढ़ाने पर बल दिया गया है।

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उन्होंने बताया कि योजना अंतर्गत उपज विक्रय के इच्छुक कृषक को एकीकृत किसान पोर्टल पर पंजीयन कराना आवश्यक है, जिसमें समीपस्थ उपार्जन केन्द्र का चयन किया जा सकता है। यदि किसी जिले में उपार्जन केन्द्र सीमित हैं, तो कृषक अन्य जिले के उपार्जन केन्द्र में भी अपनी उपज का विक्रय कर सकते हैं।

प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत खरीफ में उत्पादित मूंग, उड़द, सोयाबीन एवं मूंगफली की खरीदी शीघ्र प्रारंभ की जाएगी। इसके उपरांत खरीफ की अरहर एवं रबी की चना, मसूर एवं सरसों फसलों का उपार्जन किया जाएगा। प्रत्येक अधिसूचित फसल की उपार्जन अवधि 90 दिवस निर्धारित की गई है। आवश्यकता पड़ने पर जिले के कलेक्टर के प्रस्ताव पर इस अवधि में वृद्धि की जा सकती है।

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यह योजना न केवल किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने में सहायक है, बल्कि बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर उपज के अधिक मूल्य प्राप्ति में भी सहायक है। इससे फसल विविधिकरण को बढ़ावा मिलेगा और राज्य एक फसलीय कृषि से बहुफसलीय कृषि की ओर अग्रसर होगा।
राज्य सरकार द्वारा सभी जिला उप संचालक कृषि से जिलेवार फसल रकबा, संभावित उत्पादन, उपार्जन एवं भंडारण केन्द्रों के निर्धारण संबंधी जानकारी शीघ्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। प्राप्त जानकारी के आधार पर उपार्जन केन्द्र निर्धारण का प्रस्ताव अनुमोदन उपरांत भारत सरकार को भेजा जाएगा। साथ ही, कृषकों को योजना के लाभ से अवगत कराने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार अभियान चलाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

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