राज्य कृषि समाचार (State News)

कम्पो एक्सपर्ट के उत्पादों से धान फसल को मिले संतुलित पोषण

धान की फसल में पोषण प्रबंधन -समस्या एवं समाधान पर वेबिनार संपन्न  

19 जुलाई 2025, इंदौर: कम्पो एक्सपर्ट के उत्पादों से धान फसल को मिले संतुलित पोषण – राष्ट्रीय कृषि अख़बार कृषक जगत द्वारा  किसान सत्र के अंतर्गत “धान की फसल में पोषण प्रबंधन -समस्या एवं समाधान” विषय पर गत दिनों ऑन लाइन वेबिनार का आयोजन किया गया , जिसमें  प्रमुख वक्ता डॉ एस पी सिंह ,टेक्नो कमर्शियल मैनेजर , कॉम्पो एक्सपर्ट इण्डिया  ने  धान की फसल एवं उसमें  उपयोगी  कॉम्पो एक्सपर्ट के उत्पादों के बारे में  विस्तार से जानकारी दी।  डॉ सिंह ने वेबिनार में ज़ूम और फेसबुक लाइव के माध्यम से शामिल हुए मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के धान उत्पादक किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया । कृषि ज्ञान प्रतियोगिता के विजेताओं को कम्पो एक्सपर्ट इण्डिया द्वारा कम्पनी उत्पाद देने की घोषणा की गई।  वेबिनार का संचालन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोंद्रिया ने किया।

उर्वरक निर्माण में कॉम्पो एक्सपर्ट की दक्षता   – डॉ सिंह ने बताया कि कॉम्पो एक्सपर्ट जर्मनी की कंपनी है, जो भारत में पिछले 30 वर्षों से कार्य कर रही है।  इसके विश्व में 22 से भी अधिक देशों में कार्यालय हैं, और इसका व्यापार 100 से भी अधिक देशों में फैला हुआ है। यह कंपनी उर्वरकों की तकनीकी विशेषज्ञता के लिए विश्व में जानी जाती है। इसके जर्मनी, स्पेन, ग्रीस और बेल्जियम में उर्वरक के  प्लांट हैं । कॉम्पो एक्सपर्ट घुलनशील उर्वरकों के अलावा विशेष जैव उत्तेजक (Biostimulant), स्लो और कंट्रोल्ड रिलीज़ उर्वरक, तरल उर्वरक और मिट्टी सुधारक आदि भी बनाती है। कंपनी के इन उन्नतशील उत्पादों के उपयोग से छतीसगढ़ के किसान फलों और सब्जियों की अच्छी पैदावार और मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। जहां तक धान की फसल का सवाल है, तो छत्तीसगढ़ की पहचान ही धान से है। इसीलिए छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है। यहां धान की कई किस्में उगाई जाती हैं। और इन दिनों हाइब्रिड किस्मों का चलन बढ़ा है , जिसमें धान की रोपाई से ही संतुलित पोषण प्रबंधन पर ध्यान देने की ज़रूरत है। धान की फसल, रोपाई और सीधी बुवाई दोनों तरीकों से उगाई जाती है। यह फसल कई विकास चरणों से होकर गुजरती है, और प्रत्येक चरण में उचित देखभाल और पोषण अत्यंत आवश्यक होता है।

संतुलित  पोषण से अच्छी पैदावार – पोषण प्रबंधन पर अपनी बात रखते हुए डॉ सिंह ने कहा कि जो किसान नर्सरी लगा के धान को रोपते हैं , उसका पूरी तरह से जमाव 1 -20  दिन में होता है। धान की शुरुआती  वृद्धि में नर्सरी की उम्र की अहम भूमिका होती है, और 20–25 दिन पुरानी नर्सरी रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त रहती है। फसल की बेहतर वृद्धि के लिए आरंभ से ही एनपीके की संतुलित आपूर्ति जरूरी होती है। अच्छे कल्ले (टिलरिंग) निकलना फसल की पैदावार की पहली कड़ी होती है। इस दौरान फसल को नाइट्रोजन और फास्फोरस की अधिक आवश्यकता होती है, साथ ही सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों का भी संतुलन बनाए रखना आवश्यक होता है। पेनिकल स्टेज अर्थात जब बाली बनना शुरू होती है , तब सही समय पर सूक्ष्म तत्वों के साथ नाइट्रोजन , पोटेशियम की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है I बाली में दाने भरने की अवस्था में पौधे को  तनाव से बचाने के लिए संतुलित  पोषण एवं तनाव प्रबंधन करने पर ही धान की अच्छी पैदावार मिलती है। ग्राफ के ज़रिये उन्होंने समझाया कि धान की फसल में कल्ले बनाने से लेकर बाली निकलने तक की अवस्था फसल पोषण की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण होती है। चर्चा के दौरान डॉ सिंह ने यह भी बताया की फसल की चरणबद्ध तरीके से पोषण की ज़रूरत बढ़ती जाती है। प्रायः किसान रोपाई के 10  दिन के भीतर यूरिया का प्रयोग करते हैं। यहाँ ध्यान देने योग बात यह है की  धान के पौधे कुल नाइट्रोजन का लगभग 50% – 70% कल्ले बनने की अवस्था से लेकर बाली निकलने की अवस्था तक अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए इस दौरान नाइट्रोजन की आवश्यकता बढ़ जाती है, ऐसे में बड़ी मात्रा में नाइट्रोजन उपलब्ध कराना ज़रूरी है। धान की अच्छी उपज के लिए प्रति एकड़ 40 किलो नाइट्रोजन, 24  किलो फास्फोरस और 16  किलो पोटाश के साथ संतुलित मात्रा में सूक्ष्म और द्वितीयक पोषक तत्वों का प्रयोग करना चाहिए।  किसान आमतौर पर यूरिया ,डीएपी/ नपीके/ एसएसपी और पोटाश का प्रयोग करते हैं। पौधों को अच्छी बढ़वार और पैदावार के लिए  मुख्य  रूप से 17तत्वों की जरुरत होती है लेकिन यदि ये सही मात्रा में पौधों को नहीं मिलेंगे तो फसल कमजोर होगी और उपज कम होगी ।  ऐसी दशा में उर्वरकों के प्रयोग में संतुलन की जरुरत है । आज खेती में प्रमुख पोषण चुनौतियां  हैं , मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी, असंतुलित उर्वरक प्रयोगों से  खेतों  की घटती उर्वरता और वातावरण परिवर्तन ।

धान की फसल के लिए कम्पो एक्सपर्ट के उपयोगी उत्पाद –  डॉ सिंह ने कहा कि इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए  धान की फसल के लिए  कुछ चुनिंदा पोषण सुझाव लेकर  आए हैं  ,जो एक निवेश की तरह होंगे, जिससे धान की फसल में सुधार होगा और धान की अच्छी पैदावार होगी। यह उत्पाद हैं – ब्लाउकोर्न  12 :११ :18 , बास्फोलियर गोल्ड ब्लैक, फेट्रीलोन काम्बी -2, नोवाटेक सोल्युब बीएस  इनिशियल और बास्फोलियर हर्बी प्लस एसपी ।  छत्तीसगढ़ में धान की खेती का लगभग 70% क्षेत्र सीधी बुवाई से और 30% क्षेत्र रोपाई विधि से किया जाता है। धान के खरपतवार नियंत्रण के लिए  पूर्व उद्गम ( प्री-इमर्जेन्स) और उत्तर उद्गम (पोस्ट- इमर्जेन्स) शाकनाशियों का प्रयोग किया जाता है। अक्सर शाकनाशियों के छिड़काव में उपयोग किया जाने वाला पानी साफ नहीं होता, जिससे दवा का असर कम हो जाता है और खरपतवार पूरी तरह से नष्ट नहीं हो पाते।

बास्फोलियर हर्बी प्लस एसपी – यह ऐसी तकनीक से बना है , जब इसे घोलेंगे तो यह पानी के पीएच को घटाएगा और पानी की गुणवत्ता को बढ़ाएगा। यह पानी की कठोरता को कम करता है। और पानी में  मिलाई गई  दवा को स्थिर रखता है। इसलिए, शाकनाशियों के प्रभाव को बेहतर बनाने के लिए, पानी में दवा मिलाने से पहले बास्फोलियर हर्बी प्लस एसपी मिलाना अत्यंत लाभकारी होता है। इससे दवा की कार्यक्षमता बढ़ेगी  और खरपतवारों पर लंबा और प्रभावी नियंत्रण मिलेगा । इसकी अनुशंसित मात्रा 500  ग्राम /एकड़ है।

फेट्रीलोन काम्बी -2  – यह विश्व का नंबर-1 चिलेटेड सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त उर्वरक है, जो पानी में आसानी से घुलकर पौधे तक तेजी से पहुंचता है और सभी आवश्यक सूक्ष्म तत्वों की पूर्ति करता है। इसकी अनुशंसित मात्रा 500  ग्राम / एकड़ है।

ब्लाउकोर्न 12 :11 :18  – यह जर्मन ब्रांड प्रोडक्ट है ,जिसके हर दाने में सारे तत्व  शामिल हैं। यह यह फसल की  शुरुआती  अवस्था में संतुलित पोषण देने का उचित और टिकाऊ माध्यम है। इससे धान की रोपाई के 20  दिन के भीतर और सीधी बुवाई के धान में बुवाई के साथ डाल देना चाईए। धान की नर्सरी में 50 स्थानों पर इस उर्वरक का कंपनी द्वारा प्रदर्शन किया गया, जिसके सकारात्मक परिणामों को देखकर किसानों ने इसे अत्यंत प्रभावशाली और उपयोगी बताया। इसकी अनुशंसित मात्रा 25  किलो / एकड़ है।

बास्फोलियर गोल्ड ब्लैक – यह मिट्टी की सेहत का बेहतर समाधान है , जो मिट्टी के बिगड़े स्वास्थ्य को सुधारता है। बास्फोलियर गोल्ड ब्लैक एक विशेष प्रकार का तरल बायोस्टिमुलेंट है।, जिसमें 18  % आर्गेनिक कार्बन , फल्विक एसिड ( 27.5%) और ह्यूमिक  एसिड ( 1.5%) मौजूद जो मिट्टी को नई जान देता है और फसल को तीन गुना ताकत। यह  मिट्टी की संरचना में सुधार  करता है। सूक्ष्मजीवियों की गतिविधियों को भी बढ़ाता है। मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को सक्रिय करता है, जिससे पोषक तत्व पौधों को  तेज़ी से मिलने लगते हैं। इसकी अनुशंसित मात्रा 500  मिली लीटर / एकड़ है।

नोवाटेक सोल्युब बीएस  इनिशियल – इसमें 21 % हाई नाइट्रोजन और 24 % हाई सल्फर होता है। यह नाइट्रोजन को लम्बे समय तक ज़मीन में उपलब्ध रखता है। जिससे नाइट्रोजन की हानि में कमी होती है । यह फसल को मज़बूत शुरुआत देने वाला उत्पाद है। यह जड़ों की वृद्धि और शाखाओं के विकास में भी मदद करता है। इसकी 5 किलो / एकड़ की मात्रा अनुशंसित है।  यूरिया के साथ इसके प्रयोग से नाइट्रोजन की हानि कम होती है, और  पर्यावरण  में भी सुधार होता है।

धान पोषण कार्यक्रम  : इसके तहत कम्पो एक्सपर्ट ने  यह न्यूनतम सुझाव  दिया है कि  धान रोपाई के 7- 10 दिन के अंदर प्रति एकड़ 25 किलो डीएपी/ नपीके के साथ ब्लाउकोर्न 12 :11 :18  10  किलो /एकड़ और बास्फोलियर गोल्ड ब्लैक 500   मि ली /एकड़ दर से मिला के प्रयोग करें और इस दौरान यूरिया न डालें।  धान की फसल में 20 -25  दिन और 40 – 45 दिन पर 45 किलो यूरिया के साथ नोवाटेक सोल्युब बीएस इनिशियल 5 किलो / एकड़ दर से प्रयोग  करें, यह कल्लों और बालियों के लिए बहुत प्रभावी होगा । धान की फसल में पर्णीय पोषण (Foliar Nutrition) का विशेष महत्व होता है, विशेषकर कल्ले निकलने की अवस्था (30–40 दिन) और बाली निकलने की अवस्था (45–60 दिन) के दौरान। इसीलिए, किसी भी उपयुक्त NPK के साथ कल्ले निकलने की अवस्था में फेट्रीलोन काम्बी -2 की 250 ग्राम / एकड़ की मात्रा का
एक छिड़काव और बाली निकलने की अवस्था में बास्फोलियर 15-5-30 ( 1 किलो /एकड़) के साथ बास्फोलियर गोल्ड ब्लैक ( 500 मिली लीटर /एकड़) और फेट्रीलोन काम्बी -2 (250 ग्राम / एकड़) का प्रयोग बालियों के बेहतर विकास, दानों के वजन में वृद्धि और समग्र उपज को सुनिश्चित करेगा । किसानों की सुविधा के लिए  कम्पो एक्सपर्ट कम्पनी ने कस्टमर केयर और व्हाट्सएप सपोर्ट नंबर दिए हैं ,जिन पर सम्पर्क कर वांछित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सम्पर्क नंबर-  8285254321 एवं  7000448267

प्रश्नोत्तरी –  टिमरनी  के श्री कन्हैया बांके  ने धान की तरह ही सोयाबीन और मक्का फसल  के लिए  कम्पो एक्सपर्ट के उत्पाद और उनकी मात्रा बाबत जानकारी चाही। उन्हें जानकारी भेजने का आश्वासन दिया गया। छग के ग्राम जिलाटोला से  श्री मनीष के नेतृत्व में कई धान उत्पादक किसान समूह में इस वेबिनार में शामिल हुए। यहां के श्री लेखराम रोड़गे ने कहा कि धान की रोपाई चल रही है। पौधों में वृद्धि के लिए उपाय बताएं।  डॉ सिंह ने उन्हें ब्लाउकोर्न 12 :11 :18  का रोपाई के 3 -4  दिन के अंदर प्रयोग करने की सलाह दी।  इससे 25  दिन में पौधों में वृद्धि दिख जाएगी।  किसान श्री हीरालाल पटेल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि धान की नर्सरी में ब्लाउकोर्न 12 :11 :18  का डेमो किया था। ग्रोथ अच्छी रही। रिजल्ट बढ़िया मिला।  इस साल 2  एकड़ में ट्राय कर रहा हूं। डॉ सिंह ने कहा कि इससे पौधे स्वस्थ रहेंगे और फसल में एकरूपता नज़र आएगी। रीवा के श्री तरुण मिश्रा ने कहा कि 25  एकड़ में धान की खेती दोनों विधियों से करते हैं। कम्पो एक्सपर्ट के उत्पाद रीवा में उपलब्ध होने तथा प्रति एकड़ कितनी लागत आएगी यह जानकारी चाही। डॉ सिंह ने कहा कि लगभग 3  हज़ार रु / एकड़ तक लागत आएगी। जिससे 3 -4  गुना उपज भी बढ़ेगी।कम्पनी की टीम आपसे जल्द सम्पर्क  करेगी।

कृषि ज्ञान प्रतियोगिता –  कृषि ज्ञान प्रतियोगिता में  वेबिनार में कम्पो एक्सपर्ट उत्पादों की हुई चर्चा से संबंधित तीन प्रश्न पूछे गए।  जिनमें श्री कन्हैयालाल बांके , टिमरनी, श्री हीरालाल पटेल एवं श्री हीरालाल पटेल ग्राम जिला टोला ने सही ज़वाब  दिए और विजेता बने। इन तीनों विजेताओं  को  पुरस्कार में कम्पो एक्सपर्ट उत्पाद  देने की घोषणा की गई।

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