राजस्थान में मोटे अनाजों की संभावना एवं पोषण महत्व विषयक किसान चौपाल का आयोजन
11 फरवरी 2023, पोकरण । राजस्थान में मोटे अनाजों की संभावना एवं पोषण महत्व विषयक किसान चौपाल का आयोजन – क्षेत्र के ग्राम पंचायत लाठी के धोलिया ग्राम में कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के तहत मोटे अनाजों की संभावना एवं पोषण महत्व विषय पर किसान चौपाल का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा भारत की ओर से पेश प्रस्ताव पर 70 से अधिक देशों के समर्थन एवं स्वीकृति से वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया गया है। इसका उद्देश्य बदलती जलवायु परिस्थितियों में मोटे अनाज के पोषण और स्वास्थ्य लाभ और इसकी खेती के लिए उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक डॉ बलबीर सिंह ने बताया कि 16 प्रकार के मोटे अनाज वाली फसलों का उत्पादन भारत में होता है इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में शामिल किया गया है। केंद्र के प्रसार विशेषज्ञ सुनील शर्मा ने बताया कि खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए मोटे अनाजों के योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना, मिलेट्स के टिकाऊ उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के लिए हितधारकों को प्रेरित करना एवं अनुसंधान और विकास और विस्तार सेवाओं में निवेश बढ़ाना तीन प्रमुख लक्ष्य रखे गए हैं। जलवायु, वर्षा, मिट्टी की अनुकूलता के आधार पर यह तो सिद्ध है कि बाजरा, ज्वार एवं रागी को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान में अत्यन्त संभावनाएं हैं। मानव शरीर विशेष तौर से महिलाओं एवं बच्चों में उच्च आयरन एवं जिंक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बाजरे की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों जैसे धनशक्ति, एएचबी 1200 एफई, एचएचबी 299, आरएचबी 233, एचएचबी 311 इत्यादि किस्में विकसित की गई है जिनमें आयरन की मात्रा 7.5 से 8 मिलीग्राम तथा जिंक 3.5 से 4.5 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम तक पाई जाती है। कार्यक्रम में पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. राम निवास ने बाजरे के क्षेत्रफल एवं उत्पादन को बढ़ाने के साथ साथ किसानों, महिलाओं एवं युवाओं को बाजरे के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर भी जोर देने की जरूरत बताई जिससे स्टार्ट अप शुरू करके आय अर्जित करने के साथ सभी को पोषण युक्त उत्पादों के प्रयोग से उत्तम स्वास्थ्य मिल सके। दालों व तिलहनों के साथ बाजरे को मिलाकर इससे पोषणयुक्त भोजन तैयार किया जा सकता है। इससे चपातियां, ब्रैड, लड्डू, पास्ता, बिस्कुट और तरह-तरह की भोज्य पदार्थ तैयार किये जा सकते हैं। आंशिक रूप से तैयार बाजरे से बने उत्पाद मार्केट में पेश किए जा सकते हैं जिन्हें घरों में पकाया जा सकता है। इससे बाजरे की खपत भी बढ़ेगी और पोषक अनाज के रूप में इसकी मांग अधिक हो सकेगी। मौके पर राम लाल, बगडू राम, माना राम, शिवरतन, हरि राम, बाबू राम इत्यादि उपस्थित थे।
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