राज्य कृषि समाचार (State News)

वैश्विक पहचान बनाती निमाड़ की लाल मिर्च

28 मई 2023, (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर, कृषक जगत) ।  वैश्विक पहचान बनाती निमाड़ की लाल मिर्च – निमाड़ के भोजन में यदि मिर्च का समावेश रूचि के अनुसार न हो तो भोजन को बेस्वाद माना जाता है। निमाड़ के मिर्च उत्पादक किसान न केवल तेज मिर्च खाते हैं, बल्कि प्रचुर मात्रा में इसे उगाते भी हैं। खरगोन जिले में गत वर्ष मिर्च में ब्लैक थ्रिप्स का प्रकोप होने से इस वर्ष एक-दो ब्लॉक में रकबा कम हुआ है, वहीं भीकनगांव, सनावद और झिरन्या ब्लॉक में रकबा बढ़ा है। किसान नई तकनीक और नई किस्मों को अपना रहे हैं। यहाँ की मिर्च यूरोपीय देशों में निर्यात भी हो रही है। जिले में एफपीओ के गठन के बाद निर्यात की संभावनाओं को पंख लग गए हैं। इसीलिए हर साल लाखों की मिर्च उगाने वाले किसानों के चेहरों पर भी मिर्च की भांति सुर्खी छाई है।

खरगोन तहसील के मेनगांव के मिर्च उत्पादक किसान श्री विनोद पाटीदार एक दशक से मिर्च की खेती करते हैं। गत वर्ष इन्होंने 6 एकड़ में 15 लाख का मिर्च उत्पादन कर बिक्री की। वैसे तो खरगोन जिले में बेडिय़ा की मिर्च मंडी बड़ी है, जहाँ अधिकांश किसान मिर्च बेचने और देश भर से व्यापारी मिर्च खरीदने आते हैं, लेकिन श्री पाटीदार टेराग्लेब एफपीओ के सदस्य हैं और अपना माल इस एफपीओ को ही बेचते हैं। इससे उन्हें अच्छे दाम के साथ बोनस भी मिलता है। इसी तरह ग्राम डालकी तहसील सेगांव के श्री संजय पाटीदार भी लम्बे अर्से से मिर्च की खेती करते हैं। पिछले साल इन्होंने 4 एकड़ में 12 लाख की मिर्च उगाई थी और 8 लाख का शुद्ध मुनाफा लिया था। गत वर्ष टेराग्लेब एफपीओ के सदस्य बनने के बाद इन्हें चौतरफा फायदा हुआ। पहला तो यह कि इन्हें मिर्च का बीज बाजार से कम दर पर एफपीओ से मिला। दूसरा एफपीओ द्वारा मिर्च उत्पादन में यथा समय मार्गदर्शन दिया गया। तीसरा बोनस मिला और चौथा यह कि इनकी 35 क्विंटल लाल सूखी मिर्च निर्यात की गई।

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वहीं ग्राम घोड़वा तहसील भीकनगांव के श्री ईश्वर दोगाया ने भी गत वर्ष 9 एकड़ में मिर्च फसल से 16 लाख का उत्पादन लिया था। हालाँकि ठंड में थ्रिप्स का हमला हुआ था, जिसे जल्द ही नियंत्रित कर लिया था। भीकनगांव तहसील के ही ग्राम कालधा के श्री विकास चौधरी ने पिछले साल 12 एकड़ में ढाई से तीन लाख के औसत से 35 लाख की मिर्च निकाली थी। इन्होंने अपना माल बेडिय़ा मंडी में बेचा था।

श्री के.के. गिरवाल, उप संचालक उद्यानिकी, खरगोन ने कृषक जगत को बताया कि जिले में मिर्च के पौध के लिए अनेक निजी नर्सरियां हैं, जिसके कारण किसानों को सुविधा हो गई है। कुछ ब्लॉक में ब्लैक थ्रिप्स के कारण गर्मी की मिर्च का रकबा कुछ कम हो सकता है।

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मेनगांव की मिर्च गई मेक्सिको

ग्राम बोरुद तहसील भीकनगांव के श्री जितेन्द्र छलोत्रा मिर्च की खेती के अनुभवी किसान हैं। गत वर्ष 17 एकड़ में ढाई लाख रुपए/एकड़ की दर से मिर्च उत्पादन लिया था। इन्हें फसल के दौरान थ्रिप्स और जल संकट से भी जूझना पड़ा क्योंकि निजी कुंआ एक-दो घंटे ही चल पाता है, जबकि तालाब का पानी बारिश पर निर्भर रहता है। ऐसे में नलवाया नहर से जल की मदद मिल जाती है। इस वर्ष इन्होंने मिर्च का रकबा दो एकड़ बढ़ा दिया है, वहीं किस्मों में भी परिवर्तन किया है। कसरावद ब्लॉक के ग्राम खामखेड़ा के श्री आशीष बिरले ने बताया कि इस क्षेत्र में गत दो वर्षों से ब्लैक थ्रिप्स का प्रकोप होने और मजदूरों की समस्या होने से मिर्च का रकबा घटा है। दूसरा कारण कपास और डॉलर चना के दाम में सुधार होने और किसानों का रुझान इस ओर बढऩे से मिर्च नहीं लगाई है।

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टेराग्लेब एफपीओ, खरगोन के श्री महेंद्र पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि खरगोन जिला एक जिला एक उत्पाद में मिर्च के लिए चयनित किया गया है, इसलिए इसकी शुरुआत सतपुड़ा की तलहटी में बसे छोटे से गांव डालकी से की गई। 2020 में एफपीओ का गठन किया गया। जिसमें 5 डायरेक्टर और 6 प्रमोटर हैं। 100 किसान इसके सदस्य बन चुके हैं। हम अपने सदस्यों को उनके खेत की मिट्टी की जाँच, पानी की जाँच, बीज की जानकारी, एग्रोनोमी और कटाई के बाद बाजार की भी सुविधा भी देते हैं। इसके अलावा सीड प्रोडक्शन प्रोग्राम से जुड़े किसान सदस्य को बोनस भी दिया जाता है। अब तक 50 टन लाल मिर्च यूरोपीय देशों को निर्यात की जा चुकी है, जिसमें मैक्सिको प्रमुख है।

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