राज्य कृषि समाचार (State News)

मोहन सरकार ने की दुग्ध उत्पादकों को बोनस देने की तैयारी

एक लीटर दूध पर पांच रुपए मिलेंगे, स्थापना दिवस पर हो सकती है शुरुआत

21 अक्टूबर 2024, भोपाल: मोहन सरकार ने की दुग्ध उत्पादकों को बोनस देने की तैयारी – सूबे के दुग्ध उत्पादकों को भी सरकार अब बोनस का लाभ देने की तैयारी में है। उम्मीद है कि प्रदेश के स्थापना दिवस से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसकी शुरुआत
कर सकते है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार  इसके लिए शासन स्तर पर बोनस देने के लिए नीति भी तैयार कर ली गई है। प्रारंभिक रूप से इस योजना का लाभ प्रदेश के करीब ढाई लाख से ज्यादा किसानों को दिया जाएगा। इसके बाद पात्र लोगों को इसमें शामिल आगे भी किया जाता रहेगा। फिलहाल इस योजना का लाभ उन दूध उत्पादकों को मिलेगा , जो प्रदेश की सहकारी दुग्ध उत्पादन समितियों के माध्यम से दूध बेचते हैं या भविष्य में बेचेंगे। असल में दुग्ध उत्पादक राज्यों में मप्र आगे है। तब भी किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा, क्योंकि उत्पादित दूध कई बड़ी कंपनियां खरीद रही हैं, जो अपना मुनाफा पहले देख रही हैं। सरकार ने जो आकलन कराया उसमें पता चला कि सहकारी केंद्रों पर किसान बहुत कम दूध बेचते हैं, जो दूध आ रहा है उसकी प्रोसेसिंग क्षमता भी उतनी नहीं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसे नए सिरे से मजबूत करने, किसान और उपभोक्ताओं को लाभ से जोड़ने के लिए नीति तैयार कराई है।

प्रदेश में छह सहकारी दुग्ध संघ है। ये सब रोजाना 10 से 12 लाख लीटर दूध खरीद पा रहे हैं, जबकि ये 40 वर्ष पुराने हैं। सरकार दूध पर बोनस देकर किसानों के पास अकेले उत्पादन ही नहीं बढ़ाना चाहती, बल्कि संघों की खरीद, प्रोसेसिंग और दुग्ध उत्पाद बेचने की क्षमता भी बढ़ाना चाहती है। इससे किसान, उपभोक्ताओं को लाभ देने के साथ ही प्रदेश के युवाओं, मजदूरों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिल सकेंगे।

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– बोनस पाने के लिए पशु पालक केवल दूध का अधिक उत्पादन करेंगे, बल्कि निजी कंपनियों को बेचना छोड़ प्रदेश की सहकारी समितियों को बेचने के लिए प्रेरित होंगे।
– सहकारी समितियों में दूध की आवक बढ़ते ही उसका रखरखाव, समितियों से कोल्ड स्टोरेज और फिर दुग्ध संघों तक पहुंचाने के लिए काम करने वालों की जरूरत पड़ेगी। काम पाने और काम देने के अवसर खुलेंगे।
– जब यह दूध सहकारी दुग्ध संघों में पहुंचेगा तो यहां भी प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वितरण से जुड़े काम के अवसर बढ़ेंगे। इससे भी लोगों को रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
– दूध की मात्रा बढ़ेगी तो नई सहकारी दुग्ध संकलन समितियां, कोल्ड स्टोरेज के अलावा सहकारी दुग्ध संघों की भी स्थापना की जरूरत पड़ेगी। इस वजह से काम करने वालों की भी आवश्यकता होगी।

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