आर्गेनिक मिश्रित खेती कर लखपति बने मिथलेश
30 अगस्त 2024, कटनी: आर्गेनिक मिश्रित खेती कर लखपति बने मिथलेश – शासन की योजनाओं का लाभ लेकर और आत्मा की गतिविधियों में सहभागिता से मिले उन्नत आर्गेनिक खेती का गुर सीखकर ढीमरखेड़ा के कृषक मिथलेश हल्दकार ने कम लागत में मटर का अधिक उत्पादन लेकर दूसरे किसानों को राह दिखाई है।अब आस-पास के किसान भी इनका मटर की खेती में अनुसरण कर रहे हैं । मिथलेश की जीरो टिलेज की मटर की बुवाई से उत्पादन दो-गुना हो गया। कृषि लागत भी कम हो गई ।
विकासखंड ढीमरखेडा के ग्राम इमलिया निवासी श्री मिथलेश हल्दकार पिता मिस्की लाल हल्दकार ने बताया कि मेरे पास 3 एकड़ सिंचिंत भूमि है। उस जमीन पर मैं परम्परागत तरीके से गेहूं की खेती करता था, जिससे 36 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता था। जिसकी बीज, सिंचाई , उर्वरक, कीटनाशक आदि मिलाकर लागत बहुत ज्यादा होती थी। उक्त 36 क्विंटल गेहूं को दो हजार रूपये प्रति क्विंटल की दर से विक्रय करने पर कुल 72 हजार रूपये ही प्राप्त होता था। जिसमें 36 हजार रूपये लागत राशि रहती थी तथा शुद्ध लाभ मात्र 36 हजार रूपये का ही होता था। रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के कारण जमीन एवं स्वास्थ्य खराब होने लगा एवं फसलों का उत्पादन भी लगातार घटने लगा जिसके चलते परिवार के भरण पोषण हेतु मुझे अन्य कार्य करने की आवश्यकता पड़ने लगी।
कृषि विभाग की आत्मा योजनांतर्गत संचालित गतिविधियों में भाग लेने के कारण मुझे रबी मौसम में मटर की फसल लगाने की सलाह दी जाकर उनके द्वारा मुझे उन्नत बीज का महत्व एवं प्राकृतिक खाद की जानकारी एवं सही समय व मात्रा में उपयोग करने का तरीका समझाया गया। साथ ही फसल उत्पादन में प्राकृतिक तरीकों की संपूर्ण जानकारी दी गई। विभाग द्वारा मुझे रबी वर्ष 2023-24 में एक एकड़ प्रदर्शन के लिए मटर बीज मिला। जिसका मैंने बीजामृत द्वारा बीज उपचार करके कतार बोनी की तथा समय-समय पर जीवामृत का छिड़काव किया एवं कीट नियंत्रण के लिए नीमास्त्र का उपयोग किया। शेष 2 एकड़ भूमि में गेहूं की फसल भी प्राकृतिक रूप से की। एक एकड में कतार बोनी से मटर की फसल होने के उपरांत कुल 35 क्विंटल मटर का उत्पादन हुआ। जिसका दो हजार रूपये प्रति क्विंटल के मान विक्रय करने पर 70 हजार रूपये की आय हुई तथा 12 हजार रूपये कुल लागत का खर्च हुआ। इस प्रकार मुझे मटर की फसल से 50 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा होने के कारण अब मुझे बाहर कहीं भी कार्य हेतु नहीं जाना पड़ता है। कृषक मिथलेश ने बताया कि पहली बार मटर की फसल का अनुभव प्राप्त किया है।
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