सोयाबीन दाम को लेकर पंचायतों में ज्ञापन को मिल रहा भारी समर्थन
06 सितम्बर 2024, इंदौर: सोयाबीन दाम को लेकर पंचायतों में ज्ञापन को मिल रहा भारी समर्थन – समर्थन मूल्य से भी कम में बिक रही सोयाबीन को लेकर पूरे मध्य प्रदेश के किसानों में आक्रोश है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सोयाबीन के भाव ₹8000 प्रति क्विंटल किए जाने की मांग को लेकर 1 सितंबर से 7 सितंबर तक सभी ग्राम पंचायत के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने का आह्वान किया था। इस अभियान को इंदौर सहित मालवा – निमाड़ में भारी समर्थन मिल रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी श्री बबलू जाधव, श्री रामस्वरूप मंत्री ने बताया कि इस अभियान के तहत गत दिनों किसानों द्वारा गांव-गांव में रैली निकाली तथा पंचायत सचिव एवं सरपंच के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इंदौर जिले के सांवेर के बालौदा टाकुन, कछालिया काकरिया पाल में श्री बबलू जाधव के नेतृत्व में श्री छोटू यादव सहित अन्य किसानों ने ज्ञापन सौंपा। अजनोद गांव में श्री राजेश पटेल के नेतृत्व में रतनखेडी,पिपलिया,कायस्थ, श्रीराम सोनगरा चिंटू चंदेल आदि किसान मौजूद रहे। धतुरिया में रतन सिंह सांखला के नेतृत्व में तथा देपालपुर तहसील के हरनासा, ,बरोदापथ नेवरी खड़ी ,चांदेर सगड़ोद ,बेगन्दा , गांव में श्री चंदन सिंह बड़वाया के नेतृत्व में ज्ञापन दिए गए , जबकि लिंबोदापार ,अटावदा,सुनाला में गोकुल बड़वाया ने ज्ञापन देने का नेतृत्व किया, जम्बुड़ी हब्सी ,बेटमा में श्री मदरू पटेल आदि ने तथा नैनौद में श्री शैलेंद्र पटेल के नेतृत्व में गांव से रैली निकाल कर किसानों ने सरपंच व पंचायत सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सोयाबीन के भाव ₹8000 क्विंटल किए जाने की मांग की गई ।
ज्ञापन में कहा गया है कि फिलहाल मंडियों में जिस भाव में सोयाबीन बिक रहा है वह समर्थन मूल्य से तो नीचे है ही साथ ही लागत से भी कम है। मध्य प्रदेश सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने भी सोयाबीन की लागत 32 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल आंकी है ,जबकि किसानों के अनुसार लागत 4000 से भी ज्यादा बैठती है। लेकिन वर्तमान में सोयाबीन की आधी कीमत ही मिल रही है जो किसानों का आक्रोश बढ़ा रही है।सरकार सोयाबीन को अपने घोषणा पत्र के वादे के अनुसार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक बिकवाने की व्यवस्था करे। सोयाबीन के दाम ₹8000 से कम नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो मध्य प्रदेश में किसान बड़े आंदोलन को मजबूर होंगे।अगले चरण में सांसद और विधायकों को ज्ञापन दिए जाएंगे।
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