राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषक हितैषी योजनाओं की राशि का पूरा उपयोग करें: श्री सेलवेन्द्रन

राज्य स्तरीय बैठक में हुई कृषि योजनाओं की समीक्षा

10 सितम्बर 2024, भोपाल: कृषक हितैषी योजनाओं की राशि का पूरा उपयोग करें: श्री सेलवेन्द्रन – प्रदेश में चलाई जा रही कृषक हितैषी योजनाओं में उपलब्ध राशि का पूरा उपयोग कर कृषकों को लाभान्वित करें, साथ ही खाद, बीज, कीटनाशक के गुण नियंत्रण की प्रगति को जानकारी अपडेट करें। यह निर्देश कृषि सचिव श्री एम. सेलवेन्द्रन ने प्रदेश के समस्त कृषि अधिकारियों को राज्य स्तरीय कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीएट) भोपाल में आयोजित बैठक में दिए। इस अवसर पर संचालक कृषि श्री अजय गुप्ता एवं अपर संचालक श्री के. एस. टेकाम भी उपस्थित थे।

श्री सेलवेन्द्रन ने बैठक में प्रत्येक योजनाओं के प्रचालन में प्रदेश के 10 अग्रणी जिलों के अधिकारियों से चर्चा कर मोजताओं की सफलता में उनके अनुभव जाने। वहीं 10 पिछड़े जिलों की कठिनाइयों को समझकर उनके निराकरण के लिए आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने स्थापना एवं विभागीय जांच के लंबित प्रकरणों पर की गई कार्यवाही का विवरण भी प्राप्त किया।

संचालक कृषि श्री गुप्ता ने बताया की विभिन्न जिलों में कृषि तकनीकी के अभिनव प्रयोग किये जा रहे हैं। इन नवाचारों में बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया द्वारा जीरो टिलेज तकनीकी से फसल अवशेष प्रबंधन, नरवाई जलाने की प्रवृति को नियंत्रित करने के लिए हैप्पी सोडर के प्रयोग, फसल विविधीकरण के अंतर्गत चिया सीड, कुसुम, स्वीट कार्न तथा औषधीय फसलों का उत्पादन, गेहूं की उन्नतशील बायोफोर्टिफाइड किस्मों का रकबा बढ़ाना, बीबीएफ पद्धति से सोयाबीन की बुआई,
सोयाबीन कपास एवं दालों के उत्पादन में वृद्धि के लिए उन्नत कृषि पद्धतियों के प्रयोग किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आत्मा योजनांतर्गत रीवा जिले के प्रत्येक
विकासखंड में 5-5 चयनित किसानों के प्रक्षेत्र पर बायो रिसोर्स सेंटर स्थापित किये गये हैं जो प्राकृतिक खेती के विकास में उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।

बैठक में रबी फसलों की तैयारी का जायजा लेते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि नवीन तकनीकी को आधार बनाकर फसल प्रदर्शन आयोजित किये जायें। प्रदर्शन में उन्नत तकनीकों के साथ नैनो उर्वरकों को भी शामिल किया जाये। बीज वितरण हेतु कृषि विश्वविद्यालयों, शासकीय प्रक्षेत्र एवं बीज निगम को प्राथमिकता दी जाये। डिजिटल एग्रीकल्चर में उपयोगी कृषि मेपर एप्लीकेशन, ई-रूपी तथा अन्य उपयोगी एप के उपयोग के संबंध में भी चर्चा की गई। बैठक में समस्त संभागों एवं जिलों के कृषि अधिकारी उपस्थित थे।

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