राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषि विकास में मध्यप्रदेश की बड़ी छलांग, दाल-खाद्यान्न-तिलहन में रिकॉर्ड उत्पादन ने देश में दिलाया शीर्ष स्थान

18 अक्टूबर 2025, भोपाल: कृषि विकास में मध्यप्रदेश की बड़ी छलांग, दाल-खाद्यान्न-तिलहन में रिकॉर्ड उत्पादन ने देश में दिलाया शीर्ष स्थान – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में कृषि विकास और किसान कल्याण में मध्यप्रदेश सरकार प्राण-प्रण से जुटी हुई है। मध्यप्रदेश उत्पादक गतिविधियों में नवाचार कर रहा है। सरकार किसानों के हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ी है। प्रदेश ने कृषि क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। उत्पादन में रिकार्ड दर्ज कर प्रदेश को अनेक अवार्ड हासिल हुए हैं। म.प्र. दालों के उत्पादन में प्रथम स्थान पर, खाद्यान उत्पादन में द्वितीय स्थान पर और तिलहन उत्पादन में तृतीय स्थान पर है। प्रदेश में त्रि-फसली क्षेत्र में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं में कमी (हतोत्साहित) करने के लिए प्रदेश में प्रभावी कार्यवाही की गई है।

किसानों के सम्मान के साथ प्रोत्साहन भी

राज्य सरकार द्वारा रबी 2024-25 में उपार्जित गेहूं पर राशि रूपये 175 प्रति क्विटंल प्रोत्साहन राशि प्रदाय की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा फरवरी 2025 में लगभग 83.50 लाख से अधिक किसानों को करीब 1770 करोड़ रूपये किसान सम्मान निधि सिंगल क्लिक से अंतरित की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 81 लाख से अधिक किसानों के खातों में 1624 करोड़ रूपये सिंगल क्लिक के माध्यम से जमा की गई।

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पहली बार समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी

प्रदेश में पहली बार भारत सरकार की प्राईस सर्पोट स्कीम अंतर्गत सोयाबीन का उपार्जन किया गया, जिसमें 2,12,568 कृषकों से कुल 6.22 लाख मीट्रिक टन मात्रा का उपार्जन किया गया है, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि 3043.04 करोड़ है। श्रीअन्न के उत्पादन को बढावा देने के लिए रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू की है, जिसके तहत किसानों को 3900 रूपये प्रति हैक्टेयर डी.बी.टी. के माध्यम से प्रदान किया जायेगा।

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, स्वाईल हेल्थ कार्ड और सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि का लाभ भी मिल रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल के नुकसान का समय पर आकलन एवं राहत राशि का वितरण किसानों को मिल रहा है।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नामांकन एवं दावा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने, एनसीआईपी पोर्टल के साथ भूमि रिकॉर्ड को सफलता पूर्वक एकीकृत करने और पोर्टल को किसान अनुकूल बनाने के लिए मध्यप्रदेश को ‘उत्कृष्टता प्रमाण पत्र’ प्रदान किया गया है। नमो ड्रोन दीदी योजनांतर्गत मध्यप्रदेश में 89 दीदियों को स्वाबलंबी बनाया गया है। नमो ड्रोन से 4200 हेक्टेयर क्षेत्र में तरल उरर्वरक का छिड़काव कर दीदियों ने 21.22 लाख रूपये की शुद्ध आय प्राप्त की है। वर्ष 2025-26 में 1066 दीदिओं को योजनांर्तगत लाभान्वित किया जा रहा है।

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नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र पर 412 करोड़ का अनुदान

कृषकों द्वारा फसल अवशेष (पराली) जलाने से रोकने के लिये शासन द्वारा कई कदम उठाये गये है, जिसमें प्रदेश स्तर पर 46,800 से अधिक नरवाई प्रबंधन से संबंधित कृषि यंत्र अनुदान पर वितरित करते हुए 412 करोड़ रूपये की अनुदान राशि जारी की गई है। कौशल विकास केन्द्रों के माध्यम से किसान ड्रोन पायलट प्रशिक्षण एवं ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान कराया जा रहा है। प्रशिक्षण में 50 प्रतिशत शुल्क का भुगतान म.प्र. शासन द्वारा वहन किया जा रहा है। अब तक 412 युवाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण तथा 33 प्रशिक्षणार्थियों को ड्रोन तकनीशियन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

4730 कस्टम हायरिंग केन्द्रों से कृषक हो रहे लाभान्वित

कृषकों को सस्ते दर पर यंत्र उपलब्ध कराने एवं ग्रामीण युवाओं को स्वावलंबी बनाये जाने के लिये सरकार के संकल्प के अनुसार हर वर्ष 1000 कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित किये जा रहे है। अब तक 4730 कस्टम हायरिंग केन्द्र प्रदेश स्तर पर स्थापित है जिससे कृषकों को लाभ मिल रहा है। कस्टम हायरिंग के 25 लाख रूपये तक के प्रोजेक्ट पर 40 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रूपये का अनुदान दिया जाता है। प्रदेश में अपेडा अन्तर्गत 11.48 लाख हेक्टयर फसल उत्पादन क्षेत्र एवं वनोपज संग्रहण क्षेत्र सहित कुल 20.55 लाख हेक्टयर जैविक क्षेत्र पंजीकृत है। “एक जिला एक उत्पाद” अंतर्गत कृषि संबंधी 6 उत्पाद कोदो-कुटकी-अनूपपुर, डिंडौरी, मंडला, सिंगरौली, तुअर दाल- नरसिंहपुर, चना-दमोह, बासमति चावल-रायसेन, चिन्नोर चावल-बालाघाट, सरसों-भिण्ड एवं मुरैना जिले शामिल किये गये है।

फार्म गेट एप के तहत किसान अपनी उपज का विवरण, फोटो मोबाइल एप्लिकेशन पर डाल कर मंडी मे पंजीकृत व्यापारियों के साथ मोल भाव कर सकता है। सौदा तय होने पर किसान की सहमति प्राप्त कर व्यापारी सीधे किसान के गाँव / खेत से उपज उठा लेता है। इससे भौतिक रूप से माल के परिवहन की आवश्यकता नहीं रहती और माल न बिकने की अनिश्चितता को समाप्त करता है। मंडी के माध्यम से किसान को मंडी अनुबंधित व्यापारी का चयन कर खेत/गोदाम पर ही फसल बेचने की सुविधा है।

रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना

रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना में किसानों को एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से अधिकतम 3 हजार 900 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जा रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन फसल ऋण के लिए इस वर्ष 600 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। विगत वर्ष किसानों को समर्थन मूल्य पर उपार्जित गेहूँ पर प्रति क्विंटल 125 रुपये का बोनस प्रदाय किया गया।

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