राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश में फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध, प्रदूषण नियंत्रण हेतु कलेक्टर ने गठित की विशेष समिति

24 अक्टूबर 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश में फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंध, प्रदूषण नियंत्रण हेतु कलेक्टर ने गठित की विशेष समिति – मध्यप्रदेश शासन पर्यावरण विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा Air (Prevention & Control of Pollution) के तहत प्रदत्त अधिकारों के तहत गेहू/धान/मक्‍का के अवशेषों को खेतों में ही अंधाधुंध तरीके से जलाये जाने को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करते हुए निर्देशित किया गया है, जो भी व्यक्ति/संस्था यदि ऐसा करते हुए पाए जाते है तो उसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पर्यावरण मुआवजा (Envionmental Compensation) अदा करना होगा। जिसमें 02 एकड़ या उससे कम भूमि धारक 2500/- रुपये प्रति घटना, 02 एकड़ से अधिक लेकिन 05 एकड़ से कम भूमि धारक 5000/- रुपये प्रति घटना एवं 05 एकड़ से अधिक भूमि धारक को 15000/- रुपये प्रति घटना देने होगें।

कलेक्‍टर किशोर कुमार कन्‍याल द्वारा जिले में फसल कटाई उपरांत उनके अवशेष को जलाने से होने वाले प्रदूषण एवं आगजनी की घटनाओं से आमजन के स्‍वास्‍थ्‍य एवं उनकी जानमाल की सुरक्षा तथा भूमि की उर्वरक शक्ति नष्‍ट न हो, उक्‍त सभी तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुये जिला गुना सीमांतर्गत मध्‍यप्रदेश शासन पर्यावरण विभाग द्वारा जारी निर्देश का पालन कराये जाने के लिये समिति का गठन किया जाने के आदेश जारी किये गये हैं।

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जारी आदेशानुसार समिति में उपखण्ड मजिस्ट्रेटको संबंधित अनुविभाग, मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत सीईओ को संबंधित विकासखण्‍ड, अनुविभागीय कृषि अधिकारी को संबंधित अनुविभाग,तहसीलदार को संबंधित तहसील,वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को संबंधित विकासखण्ड, सीएमओ जोनल अधिकारी को संबंधित नगरीय निकाय तथा क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्डको सम्पूर्ण जिला के लिये समिति का गठन किया गया हैं।

उन्‍होंने आदेश में स्‍पष्‍ट किया हैं कि नरवाई (पराली) जलाने पर रोक हेतु प्रचार-प्रसार के लिये अधीनस्थ अमले को निर्देशित किया जायें।साथ ही कृषकों को नरवाई जलाने के स्थान पर भूसा बनाकर उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करें। उन्‍होंनेसमस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया गया है, कि उनके कार्य क्षेत्र अंतर्गत जिन कृषकों द्वारा मध्यप्रदेश शासन पर्यावरण विभाग मंत्रालय भोपाल द्वारा नरवाई को लेकर जारी निर्देशों का पालन नही किया जाता हैं। उन पर माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पर्यावरण मुआवजा (Environmental Compensation) अधिरोपित किया जाये।

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