कविता को ड्रोन दीदी के नाम से मिली नई पहचान
20 सितम्बर 2025, मुरैना: कविता को ड्रोन दीदी के नाम से मिली नई पहचान – ड्रोन तकनीक ने कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। खेती को आधुनिक और लाभकारी बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ’नमो ड्रोन दीदी योजना’ प्रारंभ की गई है, जिसके माध्यम से महिलाओं को ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। यह योजना महिलाओं को तकनीकी ज्ञान से जोड़कर न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधार रही है, बल्कि उन्हें गांव में एक नई पहचान भी दिला रही है।
मुरैना जिले के कैलारस विकासखंड के ग्राम जरैना-मानगढ़ की निवासी श्रीमती कविता कुशवाह आज पूरे क्षेत्र में ’ड्रोन दीदी’ के नाम से जानी जाती हैं। पहले वे अपने पति के साथ पारंपरिक खेती करती थीं और परिवार की आय सीमित थी। तीन वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गांव में स्वयं सहायता समूह का गठन हुआ, जिसमें श्रीमती कविता को अध्यक्ष चुना गया। समूह को आंध्र प्रदेश से आई प्रशिक्षित महिलाओं ने विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण दिया। तत्पश्चात, शासन द्वारा सीसीएल (Community Investment Fund) के तहत 1 लाख रुपये की सहायता राशि प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने सिलाई की दुकान प्रारंभ की। इस कार्य से उन्हें प्रतिमाह 8,000 से 12,000 रुपये तक की आय होने लगी और उनकी सामाजिक पहचान भी मजबूत हुई।
इसके बाद प्रधानमंत्री की पहल पर शुरू हुई नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत उन्होंने ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। आज श्रीमती कविता खेतों में जाकर ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों एवं रासायनिक दवाओं का छिड़काव करती हैं। उनका कहना है कि इससे न केवल किसानों को लाभ होता है, बल्कि पानी की भी बचत होती है लागत घटती है और छिड़काव का कार्य तेज़ी से पूरा होता है। ड्रोन से मात्र 7 मिनट में 1 हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव संभव है। किसान किसानोदय एप के माध्यम से उनसे संपर्क करते हैं, जिसके बाद वे खेतों में जाकर सेवा प्रदान करती हैं। श्रीमती कविता बताती हैं, अब परिवार की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है, और मेरे बच्चे अच्छे स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह सब आजीविका मिशन की मदद और योजनाओं की बदौलत संभव हो पाया है। उनकी यह कहानी यह सिद्ध करती है कि यदि महिलाओं को सही अवसर, प्रशिक्षण और सहयोग मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों को छू सकती हैं।
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