राज्य कृषि समाचार (State News)

खरपतवार उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध जबलपुर निदेशालय

01 जुलाई 2025, इंदौर: खरपतवार उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध जबलपुर निदेशालय – भाकृअप से सम्बद्ध  खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर एक  ऐसा प्रमुख अनुसंधान  निदेशालय है , जहां खरपतवारों के प्रबंधन और नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रशिक्षण और विस्तार गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को खरपतवारों से होने वाले नुकसान से बचाना और उनके फसल उत्पादन को बढ़ाना है।

डॉ जे एस मिश्र

संस्थान के निदेशक डॉ जे एस मिश्र ने कृषक जगत को बताया कि 1989 में स्थापित यह संस्थान गत 35 सालों से पूरे देश में अपने 24  केंद्रों के माध्यम से फसली , गैर फसली और जलीय खरपतवार के लिए तकनीक का विकास कर इसके उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। आपने बताया कि निदेशालय  में खरपतवारों की पहचान, वर्गीकरण, जीव विज्ञान, पारिस्थितिकी, और प्रबंधन तकनीकों पर वैज्ञानिक अनुसंधान के अलावा किसानों, वैज्ञानिकों, और कृषि अधिकारियों के लिए खरपतवार प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित  किए जाते हैं । यहां से खरपतवार प्रबंधन से संबंधित जानकारी और प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुंचाने के लिए विस्तार गतिविधियों का संचालन भी किया जाता है। निदेशालय द्वारा खरपतवार प्रबंधन पर वैज्ञानिक पत्र-पत्रिकाएँ, पुस्तकें और अन्य सामग्री का प्रकाशन भी किया जाता है। निदेशालय  द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर खरपतवार प्रबंधन पर अनुसंधान और विकास गतिविधियों में सहयोग  किया जाता  है।

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 डॉ मिश्र ने बताया कि खरपतवार निदेशालय द्वारा 125 खरपतवार प्रजातियों के साथ एक राष्ट्रीय खरपतवार हर्बेरियम विकसित किया है, जो खरपतवारों की पहचान और रूपात्मक माप, नए खरपतवारों के परिचय और फैलाव के दस्तावेजीकरण, सूक्ष्म अवलोकन और क्षेत्र यात्राओं की योजना बनाने में मदद करता है। निदेशालय  द्वारा  2008 में दो खंडों में ‘खरपतवार एटलस’ प्रकाशित किया गया , जिसमें भारत की प्रमुख फसलों में पांच प्रमुख खरपतवारों के जिलेवार वितरण पैटर्न को दर्शाया गया है। यह खरपतवार प्रबंधन, अनुसंधान को प्राथमिकता देने में उपयोगी है। निदेशालय द्वारा सेंसर आधारित निराई उपकरण और ड्रोन, संरक्षित  कृषि, उन्नत फसल-खरपतवार प्रबंधन और बदलते जलवायु के तहत शाकनाशी  प्रभावकारिता सहित छिड़काव तकनीक पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

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