मध्यप्रदेश में फसल बीमा की ज़िम्मेदारी दो प्रमुख कंपनियों को सौंपी
14 अगस्त 2021, इंदौर । मध्यप्रदेश में फसल बीमा की ज़िम्मेदारी दो प्रमुख कंपनियों को सौंपी – भारत सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मध्यप्रदेश सरकार ने खरीफ 2021 से लागू कर दिया है। जिसे दो प्रमुख कंपनियों एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ़ इण्डिया लि.और एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लि.के अलावा एक अन्य कम्पनी द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसके लिए 11 क्लस्टर बनाए गए हैं। राज्य के 40 जिलों में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी और 10 जिलों में एचडीएफसी अर्गो कम्पनी फसल बीमा करेगी। फसल बीमा, किसानों की फसल की प्राकृतिक आपदा से होने वाली आर्थिक हानि का सुरक्षा कवच है। फसल बीमित रहेगी , तो खुशियां सुरक्षित रहेंगी।
फसल बीमा के लिए अधिकृत इन दोनों कंपनियों ने वित्तीय संस्थाओं और किसानों के लिए कुछ मुख्य बिंदुओं में नियम और शर्तें बताई हैं , ताकि फसल बीमा करने में आसानी रहे। सभी किसानों का बीमा कवरेज भारत सरकार के पोर्टल pmfby.gov.in पर ही स्वीकृत होंगे। प्रीमियम राशि केवल NCI-Portal के भुगतान गेट वे Pay-Gov द्वारा ही भेजी जावे। सभी किसानों का आधार नंबर होना अनिवार्य है।
कौनसी जोखिम शामिल होंगी – बुवाई विफल होने के कारण , व्यापक आधार पर होने वाली प्राकृतिक आपदा के कारण खड़ी फसलों की औसत पैदावार में कमी पर क्लेम और मध्यावधि मौसम प्रतिकूलताओं के कारण दावों का अग्रिम भुगतान अधिसूचित क्षेत्र के आधार पर किया जाएगा। वहीं जल भराव (धान फसल पर लागू नहीं होगा ), ओलावृष्टि ,बादल फटना ,आसमानी बिजली गिरने से प्राकृतिक आग के कारण खड़ी फसलों का नुकसान होने पर तथा फसल कटाई के 14 दिनों में खेत में सुखाने हेतु रखी कटी फसल का चक्रवातीय वर्षा , बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का क्लेम खेत स्तर पर किया जाएगा।
यहां इस बात का उल्लेख करना जरुरी है कि फसल बीमा के लिए मध्यप्रदेश में बीमा एजेंसियां तय करने में बहुत ज्यादा विलम्ब हुआ है। कारण जो भी रहे हों , लेकिन इस कारण संबंधित बीमा कंपनियों को बीमा योजना का प्रचार-प्रसार करने के लिए ज्यादा समय नहीं मिला। फसल बीमा करवाने की अंतिम तिथि 9 अगस्त थी, जो बीत चुकी है। इस तिथि को आगे बढ़ाने की अभी तक कोई सूचना नहीं है। ऋणी किसानों की फसलों का बीमा तो बैंकों से स्वतः हो जाएगा , लेकिन कई ऐसे अऋणी किसान हैं,जो एजेंसी तय नहीं होने या प्रचार के अभाव में फसल बीमा से वंचित रह गए। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि फसल बीमा में खरीफ की सोयाबीन,मक्का ,अरहर ,ज्वर, उड़द ,और मूंग की फसल को ही शामिल किया गया है। इस बार भी उद्यानिकी फसलों को बीमा के दायरे में शामिल नहीं किया गया है , जबकि उद्यानिकी फसलों के प्रति किसानों का रुझान दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। सरकार को उद्यानिकी फसलों को भी फसल बीमा में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को देश के कई राज्यों ने बंद कर दिया है। पंजाब (2016 ), बिहार (2018 ),पश्चिम बंगाल ने (2019 ) में बंद कर दिया है , जबकि आंध्र प्रदेश ,तेलंगाना , झारखण्ड और गुजरात ने 2020 से बंद कर दिया है। इसके पीछे वित्तीय संकट और मौसम के सामान्य रहने के दौरान दावों का कम भुगतान होने के कारण गिनाए जा रहे हैं। अब स्वैच्छिक बना दी गई इस फसल बीमा योजना का भविष्य किसानों के दावों के त्वरित भुगतान पर टिका हुआ है।