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छत्तीसगढ़ के किसान कैसे बन रहे हैं आत्मनिर्भर: कृषक उन्नति योजना की भूमिका

10 जनवरी 2025, रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसान कैसे बन रहे हैं आत्मनिर्भर: कृषक उन्नति योजना की भूमिका – छत्तीसगढ़ में किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा लागू की गई कृषक उन्नति योजना ने ग्रामीण इलाकों में बदलाव की नई तस्वीर पेश की है। इस योजना के तहत किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलने के साथ ही उनकी आजीविका में सुधार हो रहा है। राजनांदगांव के ग्राम रवेली के किसान श्री अगनुराम साहू इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

बेहतर मूल्य और योजनाओं से मिला लाभ

श्री अगनुराम साहू, जिनके पास 15 एकड़ खेती योग्य भूमि है, ने इस वर्ष धान और अन्य फसलों की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया। कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत उन्हें धान का मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त हुआ, जिससे उन्हें लगभग 2.40 लाख रुपये का सीधा लाभ हुआ। इसके अलावा, उन्हें बकाया बोनस के रूप में 60,000 रुपये अतिरिक्त प्राप्त हुए।

श्री साहू बताते हैं कि इस वित्तीय सहयोग ने उन्हें खेती में नए कदम उठाने का हौसला दिया। उन्होंने धान की बिक्री से प्राप्त राशि का उपयोग आधुनिक कृषि यंत्र, जैसे ट्रैक्टर खरीदने में किया। अब वे खेतों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगाने की योजना बना रहे हैं।

अन्य योजनाओं का भी मिला सहारा

श्री साहू को केवल कृषक उन्नति योजना का ही नहीं, अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिला है। पर्रीनाला एनीकट के माध्यम से सिंचाई के लिए मोटर पंप खरीदने पर उन्हें 11,000 रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ। उनके घर में नल-जल योजना के तहत स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की गई। इसके अलावा, उनके परिवार को महतारी वंदन योजना का लाभ मिला है, जिससे उनकी बहू के स्वास्थ्य और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

श्री साहू ने खेती में आधुनिक तकनीकों और संसाधनों का उपयोग शुरू किया है। वे कहते हैं कि आधुनिक यंत्र और तकनीकें न केवल उत्पादकता बढ़ाती हैं, बल्कि समय और श्रम की भी बचत करती हैं। उनकी अगली योजना पक्का मकान बनाने की है, जिसे वे अपनी मेहनत और योजनाओं के समर्थन से पूरा करना चाहते हैं।

प्रेरणा बन रहे हैं किसान

श्री अगनुराम साहू की यह सफलता कहानी क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रही है। श्री साहू का मानना है कि यदि योजनाओं का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सुधार संभव है। उनका कहना है कि धान की उचित कीमत और अन्य सहायक योजनाओं ने उनकी जिंदगी में बदलाव लाया है।

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