राज्य कृषि समाचार (State News)

कहीं मालवा को विदर्भ ना बना दे लहसुन – प्याज के गिरते भाव

13 अगस्त 2022, इंदौर: कहीं मालवा को विदर्भ ना बना दे लहसुन – प्याज के गिरते भाव

महोदय ,

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मालवा अंचल को प्याज और लहसुन उत्पादन का हब माना जाता है। यहां के किसान गुणवत्तायुक्त उक्त उद्यानिकी फसलें पैदा कर देश और दुनिया में लोगों को खाने के लिए उपलब्ध कराते हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि आज लहसुन का उत्पादन लागत लगभग  1500/- रुपए प्रति क्विंटल आता है, जिसमें जमीन का किराया और स्वयं की मेहनत को नहीं जोड़ा जाता है। उस लहसुन की कीमत आज मंडियों में 200-से 500 रुपए प्रति क्विटंल बिकने से  किसान को दोहरे लाभ के बजाय चार गुना हानि दे रही है। देश में किसानों को धरतीपुत्र कहा जाता है ,लेकिन वर्तमान हालातों में वो धरती में धंसने की कगार पर है ।यदि यही स्थिति रही तो किसान इन फसलों की खेती करना बंद कर सकते हैं । फिर लहसुन और प्याज के लिए भारत को दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ेगा और यह चीजें आयात करना पड़ेगी ।

इसी तरह प्याज की उत्पादन लागत करीब  800-900 रुपए प्रति क्विंटल आती है ,आज वही प्याज 200 से 500 रु प्रति क्विटंल में बिक रहा है । इससे किसानों की दुर्दशा और उनके भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्तमान समय में कृषि आदानों की कीमतों और खेतों में ट्रैक्टरों में रोज उपयोग में आने वाले  डीजल के मूल्य में भी भारी वृद्धि हुई है। प्याज -लहसुन का विक्रय मूल्य न्यूनतम स्तर पर चला गया है।  
ऐसे में किसान करे तो क्या करें। देखने में आ रहा है  कि किसान मंडियों में, चौराहे पर अपने लहसुन और प्याज के उत्पाद में आग लगा रहे हैं अथवा खुले मैदानों में फेंक रहे हैं और सरकार इस पर कोई प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं कर रही है।

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पूर्व में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लहसुन के लिए भावांतर भुगतान योजना लागू की गई थी। उसी प्रकार वर्तमान समय और महंगाई को देखते हुए सरकार को लहसुन और प्याज के मूल्य निर्धारित कर तुरंत पुनः भावांतर भुगतान योजना चालू करना चाहिए । प्याज को भी सरकार पहले की तरह  पुनः खरीदे अन्यथा आने वाले समय में किसान मजबूर होकर आत्महत्या कदम न उठाने लगे । वर्तमान हालातों को देखते हुए आशंका है कि लहसुन – प्याज के ये गिरते भाव कहीं मालवा को विदर्भ ना बना दे। समय रहते जनप्रतिनिधि ,राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस पर गंभीरता से चिंतन कर  इस समस्या का कोई युक्ति युक्त हल निकालें, वर्ना वर्ष 2023 और  2024 वर्तमान सरकारों के लिए भारी पड़ सकता है।

डॉ.योगेंद्र कौशिक,

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अजड़ावदा, जिला उज्जैन

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