राज्य कृषि समाचार (State News)

भारत की खाद्य प्रसंस्करण तकनीक विश्वस्तर की होना चाहिए : डॉं. झा

जबलपुर। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय स्थित कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय सभागार में कटाई एवं कटाई उपरान्त इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पर ऑल इंडिया कोआर्डिनेट रिसर्च प्रोजेक्ट का 35वां वार्षिक सम्मेलन एवं संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नईदिल्ली के एडीजी (प्रसंस्करण अभियंत्रा) डॉं. एस.एन. झा ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कहा कि भारत की खाद्य प्रसंस्करण तकनीक विश्वस्तर की होना चाहिए, ताकि हम विश्व बाजार में मजबूती के साथ टिक सकें। इसके लिये हमें पेटेंट, नवीन टेक्नालॉजी, रिसर्च के लिए 40 प्रतिशत समय देकर मजबूत प्लानिंग करनी होगी। बदलते जलवायु और मौसम का भी प्रसंस्करण पर असर देखने मिल रहा है। अध्यक्षीय उद्बोधन में संचालक विस्तार सेवायें डॉं. (श्रीमती) ओम गुप्ता ने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष कृषि उत्पादों के पर्याप्त प्रसंस्करण, परिवहन, स्टोरेज, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग और मार्केटिंग आदि के पर्याप्त प्रबंधन के अभाव स्वरूप कटाई उपरान्त कृषि उत्पादों में 92,651 करोड़ रूपये का नुकसान उठाना पड़ता है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था को खासा प्रभावित करता है। यदि इसे सुधार जाये तो 5 करोड़ लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा। इस दौरान राष्ट्रीय परियोजना समन्वयक डॉं. एस.के. त्यागी, डॉं. अनवर आलम पूर्व कुलपति शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर, डॉं. बी.एस. बिष्ट पूर्व कुलपति गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पन्तनगर, डॉ. एस.एम. लियास पूर्व कुलपति आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद, संचालक प्रक्षेत्र डॉं. दीप पहलवान, संचालक शिक्षण डॉं. अभिषेक शुक्ला, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी संकाय डॉं. आर.के. नेमा, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉं. आर.एम. साहू मंचासीन थे। सेमीनार में राष्ट्रीय वार्षिक प्रतिवेदन सहित 40 से अधिक कृषि साहित्य का विमोचन किया गया। स्वागत द्वार पर छात्राओं- रेणुका, राजश्री, नुपूर द्वारा निर्मित आकर्षक रंगोली ने सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉं. (श्रीमती) शीला पांडे और आभार प्रदर्शन नोडल अधिकारी अधिष्ठाता डॉं. आर.के. नेमा ने किया। आयोजन में डॉं. देवेन्द्र कुमार वर्मा, डॉं. अजय कुमार गुप्ता एवं छात्रदल का उल्लेखनीय योगदान रहा। यहां देश के प्रमुखतम 33 कृषि केन्द्रों के 100 से अधिक कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि अभियंत्रा और शोधषास्त्री प्रसंस्करण तकनीक पर मंथन करने शामिल हुए हैं। द्वितीय चरण में आयोजित तकनीकी सत्र में अकोला, अलमोडा, अंकापल्ली, बैंग्लोर, बपाटला, भूवनेष्वर, चेन्नई, कोयम्बटूर, हिसार, इम्फाल, जोरहट, जूनागढ़, खानापारा, खगडपुर, कोल्हापुर, लुधियाना, मैंग्लोर, मुम्बई, पूसा, रायचुर, रायपुर, सोलन, तवानुर और त्रिवेन्द्रम केन्द्रों के वैज्ञानिकों ने न्यू प्रोजेक्ट प्रपोजल प्रेजेन्टषन किया। आज 24 ता. को दूसरे दिन प्रात: 9 बजे से शाम 6 बजे तक द्वितीय तकनीकी सत्र चलेगा। कल 25 ता. को समापन होगा। जिसमें अवार्ड दिय जायेंगे।

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