आईसीएआर पूर्व महानिदेशक पदमश्री डॉक्टर एस अय्यप्पन को पुष्पांज
लेखक: सादर प्रकाशनार्थ प्रेषित, श्रीमान सम्पादक जी, अधिष्ठाता मत्स्यकी महाविद्यालय महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर
14 मई 2025, उदयपुर: आईसीएआर पूर्व महानिदेशक पदमश्री डॉक्टर एस अय्यप्पन को पुष्पांज – महाराणा प्रताप कृषि प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक मत्स्यकी महाविद्यालय परिवार की ओर से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक एवं प्रख्यात मत्स्य वैज्ञानिक डॉ. एस. अय्यप्पन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों डॉ अय्यपन की कावेरी नदी में जल दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। वे 7 मई को हमेशा की तरह ध्यान अर्चना के लिए घर से बाहर गए थे और 10 मई को श्रीरंगपटना, मैसूर में उनकी मृत्यु का पता चला जिसकी जांच की जा रही है।
डॉ अय्यपन एक अति विनम्र, दूरदर्शी एवं परिश्रमी व्यक्तित्व के धनी थे जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न उच्च पदों के दायित्व का निर्वहन कुशलता पूर्वक किया। आईसीएआर में महानिदेशक का पद संभालने के पूर्व केंद्रीय मत्स्यकी शिक्षण संस्थान मुंबई, केंद्रीय मीठा जल कृषि संस्थान भुवनेश्वर नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड और नाबार्ड जैसे उच्च संस्थाओं के शीर्ष पद पर रहे। मत्स्यकी शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उनका योगदान अभूतपूर्व रहा। उदयपुर स्थित मत्स्यकी महाविद्यालय से उनका विशेष लगाव रहा तथा कई बार उदयपुर प्रवास के दौरान यहां के प्राध्यापकों के साथ विषय संबंधी परिचर्चाऐं आयोजित की गई ।
इस अवसर पर मत्स्यकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ आर ए कौशिक, पूर्व अधिष्ठाता डॉक्टर एल एल शर्मा, छत्तीसगढ़ मत्स्यकी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ एच के वर्डिया के अतिरिक्त मत्स्यकी महाविद्यालय उदयपुर के प्राध्यापक डॉ एम एल ओझा, डॉ शाहिदा जयपुरी, एवं सह शैक्षणिक कर्मचारियों ने डॉ अय्यप्पन को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
शानदार करियर
डॉ. अय्यप्पन ने 2016 तक आईसीएआर के प्रमुख के रूप में कार्य किया। उन्हें 2013 में कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और विज्ञान और इंजीनियरिंग में उनके योगदान के सम्मान में उन्हें 2022 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
कृषि एवं मत्स्य पालन (जलीय कृषि) वैज्ञानिक, डॉ अय्यपन ने दिल्ली, मुंबई, भोपाल, बैरकपुर, भुवनेश्वर और बेंगलुरु सहित कई शहरों में आई सी ए आर के अनुसंधान संस्थानों में काम किया।
उन्होंने भुवनेश्वर में केन्द्रीय मीठाजल जलकृषि संस्थान के निदेशक तथा मुम्बई में केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान के निदेशक के रूप में भी कार्य किया।
उन्होंने भारत की नीली क्रांति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई संस्थानों के निर्माण और पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इम्फाल स्थित केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी कार्य किया।
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