पंजाब में शुरू होंगे GM मक्का के फील्ड ट्रायल्स, विरोध के बावजूद PAU ने दिखाई हरी झंडी
19 जुलाई 2025, भोपाल: पंजाब में शुरू होंगे GM मक्का के फील्ड ट्रायल्स, विरोध के बावजूद PAU ने दिखाई हरी झंडी – पंजाब में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) मक्का के फील्ड ट्रायल्स शुरू किए जाएंगे। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) इस खरीफ सीजन में इन ट्रायल्स को अंजाम देगी। हालांकि, GM-विरोधी कार्यकर्ताओं द्वारा कड़ा विरोध जताया गया है, इसके बावजूद PAU ने ट्रायल्स को मंजूरी दी है।
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि PAU हमेशा से रिसर्च और फील्ड ट्रायल्स करता रहा है। उन्होंने कहा, “भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए नई फसल किस्मों का विकास जरूरी है।” उन्होंने आगे कहा कि मक्का कपास की तुलना में कम पानी खपत करता है, इसलिए यह फसल खासकर उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहां जल संकट गहराता जा रहा है। मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें फिलहाल किसी तरह की आपत्ति की जानकारी नहीं है।
एक्टिविस्ट्स का विरोध, सरकार ने दी सफाई
हालांकि कई संगठनों ने GM मक्का के ट्रायल्स का विरोध किया है। ‘कोएलिशन फॉर ए GM-फ्री इंडिया’ नाम के संगठन ने इन फील्ड ट्रायल्स पर आपत्ति जताई है और इसे किसानों और पर्यावरण के लिए खतरा बताया है। लेकिन कृषि मंत्री का कहना है कि उन्हें इस विरोध की कोई जानकारी नहीं है और PAU जो कर रहा है वो राज्य के हित में है।
ग्लाइफोसेट बैन का मुद्दा भी उठा
कोएलिशन की प्रमुख कविता कुरुगांति ने कहा कि पंजाब में पहले से ही ग्लाइफोसेट पर बैन है। ऐसे में ग्लाइफोसेट सहनशील GM मक्का का ट्रायल राज्य के कानून का उल्लंघन माना जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य सरकार इस हर्बिसाइड को पहले ही स्वास्थ्य और पर्यावरण को देखते हुए बैन कर चुकी है तो अब ऐसे ट्रायल की इजाजत कैसे दी गई।
पुराना रिकॉर्ड भी सवालों के घेरे में
कुरुगांति ने यह भी आरोप लगाया कि PAU का पिछला रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं रहा है। उन्होंने बताया कि इससे पहले HT सरसों के ट्रायल के दौरान सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हुआ था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि GEAC (Genetic Engineering Appraisal Committee) ने 11 राज्यों में ट्रायल की अनुमति मांगी थी लेकिन सिर्फ पंजाब ने ही इसके लिए हां कहा।
खतरनाक हो सकता है GM मक्का का ट्रायल: एक्टिविस्ट
एक्टिविस्ट्स का कहना है कि पंजाब में पहले से ही पर्यावरण और स्वास्थ्य संकट गहराया हुआ है। ऐसे में ज्यादा केमिकल्स का इस्तेमाल करना किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब को हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) और Bt जैसी खतरनाक तकनीकों से बचना चाहिए क्योंकि इससे रासायनिक खेती और ज़हरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ेगा।
सरकार का जवाब: भविष्य की जरूरत के लिए जरूरी रिसर्च
पंजाब के कृषि मंत्री का कहना है कि हर बीज में कुछ वर्षों बाद कीट समस्याएं आती हैं, इसलिए नई किस्मों का विकास जरूरी है। उन्होंने भरोसा जताया कि PAU राज्य और किसानों के हित में काम करेगा और कोई नुकसान नहीं होने देगा।
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