राज्य कृषि समाचार (State News)

राजस्थान में नर्सरी लगाने पर किसानों को मिलेगा 50% अनुदान, छोटे पैमाने पर कर सकते हैं लाखों की कमाई

07 सितम्बर 2024, सीकर: राजस्थान में नर्सरी लगाने पर किसानों को मिलेगा 50% अनुदान, छोटे पैमाने पर कर सकते हैं लाखों की कमाई – राजस्थान के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर आया है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत अब किसान अपनी खुद की नर्सरी लगाकर आधी लागत पर इसे स्थापित कर सकते हैं। सरकार की ओर से नर्सरी स्थापित करने पर 50% तक अनुदान दिया जा रहा है, जिससे किसानों को कम निवेश में अच्छी आय अर्जित करने का मौका मिलेगा।

किसान अब अपनी नर्सरी लगाने के लिए भू-स्वामित्व के दस्तावेज, सुविधाओं के विवरण और वित्तीय विश्लेषण के साथ जिला उद्यानिकी विभाग में ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अभिशंसा के बाद इसे राज्य सोसायटी निदेशालय में भेजा जाएगा, जिससे किसानों को प्रक्रिया में सरलता मिलेगी।

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फलों की नर्सरी के लिए सुनहरा मौका

किसान नर्सरी में फलीय और बहुफलीय पौधे लगा सकते हैं। नर्सरी में उच्च गुणवत्ता वाले पौधे लगाने के लिए मातृ वृक्ष ब्लॉक अनिवार्य होगा, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य के अनुसंधान केंद्रों से प्राप्त करना होगा। इसके अलावा, नर्सरी पर राष्ट्रीय बागवानी मिशन से अनुदानित बोर्ड लगाना आवश्यक होगा, जिसमें नर्सरी की कुल लागत और मातृ वृक्षों की जानकारी हो।

नर्सरी में उन्नत तकनीक का इस्तेमाल

किसानों को नर्सरी में उन्नत किस्म के मातृ वृक्ष ब्लॉक, नेच्युरली वेंटिलेटेड ग्रीन हाउस और हाईटेक ग्रीन हाउस की सुविधाएं विकसित करनी होंगी। सिंचाई और रखरखाव के लिए फॉगिंग और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम का भी इस्तेमाल करना होगा। रखरखाव को लेकर कीट रोगी 35 प्रतिशत लाइट स्क्रीनिंग एवं सुक्ष्म सिंचाई प्रणाली युक्त शेडनेट हाऊस तथा सिंचाई को लेकर हाऊस विकसित करना होगा स्टारलाइजेशन प्रणाली विकसित करना होगा।  मृदा उपचार को लेकर स्टारलाईजेंशन प्रणाली को विकसित करना होगा।

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अनुदान और लागत का प्रावधान

काश्तकार नर्सरी की स्थापना करता है तो उसे लॉन की जरूरत होगी। इस आधार पर विभाग की और से नर्सरी विकसित करने पर 50 प्रतिशत यानी 7 लाख 50 हजार का अनुदान देय होगा। इसी तरह परियोजना लागत का 70 से 75 प्रतिशत बैंक लोन स्वीकृति पत्र भी आवेदन के साथ प्रस्तुत करना होगा। छोटी नर्सरी की लागत प्रति हैक्टेयर 15 लाख रुपए निर्धारित की गई है। अनुदान राशि तीन वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद बैक एंड प्रकिया से समायोजित होगी। तय परियोजना प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं होने पर पौध अनुदान कार्य बंद होने की स्थिति में अनुदान की राशि वापस ली जाएगी।

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