कपास फसल में मशीनीकरण का बैजापुर में प्रदर्शन
मध्यप्रदेश में पहली बार
- दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर)
6 दिसम्बर 2022, कपास फसल में मशीनीकरण का बैजापुर में प्रदर्शन – खरगोन जिले के गोगांवा ब्लॉक में नाबार्ड समर्थित गोगांवा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लि. (पीओडीएफ-आईडी के तहत गठित) के सहयोग से शक्तिमान हाईटेक फार्म सॉल्यूशंस द्वारा कपास फसल में मध्यप्रदेश में पहली बार मशीन के माध्यम से कपास चुनने का प्रदर्शन का कार्यक्रम बैजापुर के श्री रामचंद्र सिंह, हेमराज सिंह सोलंकी के खेत में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि मप्र के पूर्व कृषि मंत्री श्री बालकृष्ण पाटीदार थे। इस स्वचालित मशीन से मजदूरों की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
क्षेत्र के उन्नत कृषक श्री मोहन सिंह सिसोदिया, बैजापुर ने कृषक जगत को बताया कि सघन पद्धति से कपास उत्पादन के इस कार्यक्रम एचडीपीएस (हाई डेंसिटी प्लांट सिस्टम) को गोगांवा, कसरावद और खरगोन ब्लॉक के 27 किसानों ने 248 एकड़ में इसे अपनाया। इस परियोजना में बिजाई, कीटनाशक छिडक़ाव और कपास की चुनाई मशीन से ही की जाती है। मशीनीकरण का उद्देश्य मानव की जगह लेना है, ताकि मजदूर न मिलने की समस्या से मुक्ति मिल सके। इस पद्धति में बीज सघन डाले जाते हैं। बीजों में रासी-608, अजीत-5, अंकुर-3336 और नागपुर अनुसंधान केंद्र की किस्म सूरज का भी इस्तेमाल किया गया। आमतौर पर एक एकड़ में करीब एक से डेढ़ पैकेट कपास बीज लगता है, लेकिन इस विधि में 5 पैकेट बीज लगता है, लेकिन उत्पादन भी अधिक मिलता है। इसमें न्यूनतम 7 और अधिकतम 12 क्विंटल/ एकड़ तक उत्पादन मिलता है।
शक्तिमान हाई टेक फार्म साल्यूशंस के कॉटन सॉल्यूशन प्रभारी श्री किशोर वाघ ने कृषक जगत को बताया कि मशीन की व्यावसायिक कीमत 99 लाख है। यह मशीन किराए से दो तरीके से प्रति एकड़ या प्रति किलो उपज पर किराए से दी जाती है। यह एक दिन में 20 एकड़ में काम कर सकती है।
शक्तिमान की यह मशीन महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना में 3-4 साल से चल रही है। इस मशीन से गुणवत्ता पूर्ण कपास निकलने से महाराष्ट्र के किसानों को 200-250 रुपए /क्विंटल का प्रीमियम बोनस मिला है। तेलंगाना सरकार ने तो इस मशीन से अगले तीन सालों में 40 हजार एकड़ में कपास लगाने का लक्ष्य रखा है। मप्र में यहां पहला प्रदर्शन हुआ है। श्री वाघ ने बताया कि कपास की 140 दिन की फसल के लिए इसमें बीजों को प्लांटर से ही लगाना पड़ता है। सामान्यत: एक एकड़ में 3 हजार से 11 हजार पौधे होते हैं,जबकि एचडीपीएस में पौधों की संख्या 30 हज़ार तक रहती है, क्योंकि हल्की/मध्यम जमीन पर 90&15 सेमी पर और भारी जमीन पर 90&20 सेमी की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। इसमें कपास की शाखाएं तो उतनी ही निकलती हैं,लेकिन डेन्डु एक पौधे पर 20-25 लगते हैं। जिनका वजन 4 से साढ़े 4 ग्राम रहता है। उत्पादन अधिक मिलता है। इसमें पौधे की ऊंचाई को साढ़े 3 से 4 फ़ीट पर नियंत्रित करना पड़ता है, क्योंकि अधिक-अधिक ऊंचाई पर चुनाई नहीं हो पाती हाई और नीचे ढाई फ़ीट की ऊंचाई पर लगे डेन्डुओं को हवा और धूप भी नहीं मिल पाती है।
श्री एम. एल. चौहान, उप संचालक कृषि, खरगोन ने कृषक जगत को बताया कि इस समय कपास चुनाई बहुत महंगी है। इस मशीन से पूरी फसल के दौरान श्रम व्यय कम होगा। एक ही बार में किसानों की फसल की चुनाई हो जाएगी। भविष्य में इस मशीन से किसानों की मजदूरों की समस्या का समाधान हो जाएगा। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र, खरगोन के वैज्ञानिक श्री राजीव सिंह ने कृषक जगत को बताया कि यह कपास चुनाई की स्वचालित मशीन है, जिससे बुवाई से लेकर छिडक़ाव और कटाई तक हो जाती है। इसमें कम ऊंचाई की किस्म लगाई जाती है। इस क्षेत्र के कुछ गांवों में निजी कंपनियों के अलावा कपास अनुसंधान केंद्र, नागपुर द्वारा विकसित किस्म सूरज को भी लगाया गया था। बैजापुर के करीबी गांव गोवाड़ी में किसानों से 8 से 11 क्विंटल/एकड़ का उत्पादन लिया, तो कहीं अधिक वर्षा से 3-4 क्विंटल/एकड़ उत्पादन भी रहा। इस मशीन से मजदूरों की समस्या का समाधान होगा।
इस अवसर पर श्री एम.एल. चौहान, उप संचालक कृषि खरगोन, श्री पी. एस. ठाकुर, कृषि विकास अधिकारी, श्री बड़ोले, श्री पीयूष सोलंकी, नाबार्ड से डीडीएम श्री विजेंद्र पाटील, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक श्री एस. के. त्यागी, श्री आर. के. सिंह, श्री वाई. के. जैन, शक्तिमान हाईटेक सॉल्यूशन कम्पनी की ओर से तकनीकी विशेषज्ञ श्री विश्वास, कॉटन सॉल्यूशन प्रभारी श्री किशोर वाघ, श्री अमित चौरसिया, श्री गोपालदास अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे। आभार प्रदर्शन श्री दिलीप पटेल ने किया।
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