जबलपुर जिले के किसानों को धान और मक्के की उन्नत किस्मों की जानकारी दी गई
11 जून 2024, जबलपुर: जबलपुर जिले के किसानों को धान और मक्के की उन्नत किस्मों की जानकारी दी गई – धान एवं मक्के की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए उन्नत किस्म के बीजों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन फसलों की उन्नत किस्में पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल होती है और उत्पादन में भी वृद्धि करती है । साथ ही इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और गुणवत्ता भी अधिक होती है। उप संचालक कृषि श्री रवि आम्रवंशी द्वारा जिले के किसानों को धान और मक्के की अनुशंसित उन्नत किस्मों की जानकारी प्रदान की गई।
श्री आम्रवंशी ने जवाहर मक्का-8 (जे एम-8) का ज़िक्र करते हुए बताया कि यह 80 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसका दाना गोल, चमकीला, अर्ध पारदर्शी और सफ़ेद रंग का होता है। इसके पौधे की ऊंचाई 185 सेंटीमीटर होती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। जवाहर मक्का-8 रोग प्रतिरोधी और सूखा सहिष्णु किस्म है। उन्होंने किसानों से पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-2 की विशेषताओं को साझा करते हुए बताया कि यह 90 से 95 दिनों में पकने वाली एवं मध्यम लंबाई की संकर किस्म है। इसकी लंबा 195 सेंटीमीटर होती है और इसका बीज बोल्ड एवं नारंगी रंग का होता है। इसकी औसत उत्पादन क्षमता 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। श्री आम्रवंशी ने किसानों को जवाहर मक्का-12 (जे.एम.-12) की विशेषताओं से अवगत कराते हुए बताया कि किसानों को इसकी रोपाई हल्की से मध्यम मिट्टी वाले कम वर्षा वाले क्षेत्रों में करना चाहिए। उन्होंने बताया कि मक्का-12 (जे.एम.-12) फसल 85 से 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसका दाना भी गोल, चमकीला, अर्ध पारदर्शी एवं सफ़ेद रंग का होता है। पौधे की ऊंचाई 195 सेंटीमीटर होती है। यह अंतर फसल के लिए उपयुक्त है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 45-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। उन्होंने किसानों को बताया कि जवाहर मक्का-218 (जे.एम-218) किस्म संपूर्ण प्रदेश में खरीफ एवं रबी के लिए उपयुक्त है। इस किस्म का दाना पीला-नारंगी बोल्ड होता है। इसके पौधे की ऊंचाई 210 से 255 सेंटीमीटर होती है। यह 95 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
उप संचालक श्री आम्रवंशी ने किसानों को धान की उन्नत किस्मों की बीजों की जानकारी भी प्रदान की। उन्होंने जे.आर.10 किस्म को पूरे धान उत्पादक क्षेत्रों के लिए अनुशंसित किस्म बताया। श्री आम्रवंशी ने बताया कि जे.आर.10 की उपज औसतन 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता 120 दिन है। उन्होंने बताया कि किसान इस किस्म की कटाई के बाद मसूर और चना की फसल की बोनी कर सकते हैं। जे.आर.10 किस्म ब्लास्ट और ब्लाइट सहित अधिकांश बीमारियों के प्रति मध्यम रूप से सहनशील है। श्री आम्रवंशी ने धान की अन्य उन्नत किस्म जे. आर. एच-5 की जानकारी देते हुए बताया कि यह जल्दी पकने वाली, वर्षा आधारित स्थिति धान-चना या धान-तिलहन के तहत दोहरी फसल के लिए उपयुक्त, सूखा प्रतिरोधी, दाना लंबा पतला एवं प्रदेश के धान परती क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त है। यह 100 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 70-75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
श्री आम्रवंशी ने जिले की किसानों से धान की पूसा बासमती- 1509 (पीबी-1509) किस्म के महत्व को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि यह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में विकसित कम अवधि वाली बासमती धान की किस्म है, जिसकी परिपक्वता केवल 120 दिनों में होती है। इसकी औसत उपज 25 क्विंटल हेक्टेयर होती है। इसकी विशेषता अतिरिक्त लंबे पलले दाने और सुखद सुगंध वाली है। श्री आम्रवंशी ने धान की एक अन्य किस्म एम.टी.यू. 1010 (एमडीयू-1010) के बारे में बताया कि यह एक विशिष्ट, अधिक उपज देने वाली, कम अवधि वाली तथा लंबे पतले दाने वाली व्यापक रूप से खेती की जाने वाली मेगा किस्म है। यह पत्ती ब्लास्ट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, शीथ ब्लाइट, ब्राउन प्लैन्थोपर, व्हाइट-बैक्ड ब्राउन प्लैन्योपर और लीफ फोल्डर के प्रति सहनशील है। यह 120-125 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 65-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।