राज्य कृषि समाचार (State News)

राजस्थान कृषि बजट में किसानों की उम्मीद-सभी जिलों में स्थापित हो जैविक कीटनाशक बायो एजेंट प्रयोगशाला

17 फरवरी 2022, बीकानेर ।  राजस्थान कृषि बजट में किसानों की उम्मीद-सभी जिलों में स्थापित हो जैविक कीटनाशक बायो एजेंट प्रयोगशाला – खेती में अत्यधिक उत्पादन बढ़ाने के लिए केमिकल एंव फर्टिलाइजर के अहम रोल के बावजूद इनके दुष्प्रभावों से इनकार नही किया जा सकता है। क्योंकि रासायनिक खेती में उपयोग आने वाले कीटनाशकों एंव रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों की वजह से ना सिर्फ लोगो को कैंसर, एलर्जी, चर्म रोग जैसी कई खतरनाक बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। इनके अत्यधिक इस्तेमाल से पर्यावरण एंव मृदा प्रदूषण के साथ-साथ कई तरह जीव-जंतुओं पर भी इसका विपरीत असर पड़ रहा है। कीटो में कीटनाशक रसायनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास होकर कीट व्याधि प्रकोप की समस्याओं में लगातार वृद्धि हो रही है तथा कीटनाशकों के लगातार प्रयोग से कम महत्व वाले कीट भी महामारी का रूप धारण कर रहे हैं साथ ही पर्यावरण में उपलब्ध मित्र कीट भी समाप्त होते जा रहे हैं और मिट्टी, सब्जियों व पानी से भी कीटनाशकों के अवशेषों की मात्रा निरंतर बढ़ रही है कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से उत्पादित खाद्यान्न फल सब्जी के आदि के सेवन करने पर पशु पक्षी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है।

वर्तमान में किसान वर्ग महंगी रासायनिक खेती के कारण दिन प्रतिदिन कर्जदार हो रहा है बात करे राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश की तो यँहा के किसान एवं आम नागरिक रासायनिक खेती के उपयोग किए जाने के दुष्प्रभाव से बुरी तरह प्रभावित है इसलिए राजस्थान में पहली बार अलग से पेश होने जा रहे कृषि बजट 2022-23 में किसानों की जैविक खेती को बढ़ाने के लिए विशेषतौर पर मांग है क्योंकि किसानों के जैविक खेती की ओर लगातार रुझान बढ़ रहा है इसी वजह से किसानों की तरफ से सभी जिलों में इंट्रीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट यानि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) प्रयोगशाला खोलने की मांग हो रही है। क्योंकि किसानों को प्रशिक्षणों के माध्यम से आईपीएम प्रणाली से दक्ष कर जैविक कीटनाशकों, जैविक कारकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जैविक प्रयोगशाला स्थापित करना जिले में किसानों के लिए रामबाण साबित हो सकती है। आमजन को उक्त जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशक/बायोजेंट्स जैसे ट्राइकोडर्मा, ट्राइकोग्रामा, एनपीवी, ब्यूवेरिया ,मेटाराइजम, वेर्टिसिलियम, बैसिलस थूरेन्जीएनसिस BT, पेसिलोमाइसीज, स्यूडोमोनास, नीम आधारित उत्पाद जहरीले कीटनाशको का जैविक विकल्प मौजूद है इन्ही आदि का प्रयोग करने और उनके निर्माण की जानकारी होना आवश्यक है यह तब ही सम्भव जब आईपीएम की प्रयोगशाला सभी जिलों में स्थापित हो।

Advertisement
Advertisement

पूरे देश मे केंद्र सरकार, एंव कृषि वैज्ञानिक किसानों को जैविक खेती करने हेतु प्रेरित कर रहै है किन्तु राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश में जैविक खेती की परिकल्पना आईपीएम के बिना कैसे सम्भव होगी। प्रदेश में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही है जैविक खेती से सम्बंधित महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY), जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग (ZBNF), समन्वित नाशीजीव प्रबन्धन प्रशिक्षण यह सभी योजनाएं आईपीएम के बायो एजेंट्स के बिना कैसे पूरी होगी अगर बात करे राजस्थान जैसे कृषि युक्त बड़े प्रदेश में आईपीएम की स्तिथि की वर्तमान में प्रदेश में केवल 9 ही है आईपीएम प्रयोगशालाएं है एक राज्य स्तरीय, दुर्गापुरा जयपुर एवं आठ अन्य जिलों में बाकी जिलों के किसानों की पहुँच इन 9 जिलों में स्थित आईपीएम प्रयोगशाला तक नही हो पा रही है। इस कारण आज किसान बाजार में जैविक कीटनाशक नही मिलने के कारण किसान मजबूरन में रासायनिक कीटनाशको का प्रयोग कर रहे है इसलिए इस बार राजस्थान प्रदेश में अलग से पेश हो रहे कृषि बजट में प्रदेश के किसानों की उन्नत बीज एंव तकनीक के साथ उम्मीद है प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये राज्य के वंचित 24 जिला मुख्यालयों पर जैविक कीटनाशक/बायो एजेंट्स युक्त समन्वित नाशीजीव प्रबंधन प्रयोगशाला खोली जाए ,जिस से यह प्रयोगशाला सभी जिलों में किसानों के लिये प्लांट हेल्थ क्लीनिक का कार्य करेगी जिससे प्रदेश के किसानों को फसलों में लगने वाले कीट एवं बीमारियों की सटीक जानकारी भी मिल सकेगी साथ मे किसानों को जैविक तरीके से आईपीएम द्वारा कीट व्याधि नियंत्रण पर दक्ष प्रशिक्षण मिल सकेगा जिससे किसान अपने खेत पर आईपीएम तकनीक का पूरा फायदा ले सकेगा फसल उत्पादन लागत में कमी आएगी जिससे किसान का शुद्ध मुनाफा बढेगा।

  • पवन सारस्वत मुकलावा कृषि एंव स्वंतत्र लेखक, बीकानेर

महत्वपूर्ण खबर: किसान परिवारों के युवा देंगे गांव में रोजगार

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement