एमपी की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सिंचाई क्षेत्र का निरंतर विस्तार करने पर जोर
24 अगस्त 2025, भोपाल: एमपी की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सिंचाई क्षेत्र का निरंतर विस्तार करने पर जोर – मध्य प्रदेश के सीएम ने अपने राज्य की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सिंचाई क्षेत्र का निरंतर विकास करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि सिंचाई के क्षेत्र का विस्तार होने से किसान समृद्ध होंगे।
सिंचाई क्षेत्र का प्रतिशत 52 लाख हेक्टेयर से अधिक
सीएम डॉक्टर यादव ने कहा है कि इसके लिए जल संसाधन विभाग और सभी संबंधित एजेंसियां तेजी से कार्य करें। वर्तमान में शासकीय स्रोतों से प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र का
प्रतिशत 52 लाख हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। इसे शीघ्र ही दोगुना करने का लक्ष्य ध्यान में रखकर कार्य किया जाए जिससे आने वाले 3 वर्ष में प्रदेश में 100 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार हो जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कृषि के साथ ही उद्योग क्षेत्र में पानी देने, पेयजल प्रबंध और ऊर्जा उत्पादन में जल का उपयोग जल संसाधन विभाग के स्रोतों से हो रहा है। सिंचाई के 100 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लक्ष्य के अनुसार जल संसाधनों के समुचित उपयोग को पूरी प्राथमिकता दी जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान विभिन्न परियोजनाओं से बढ़ रहे सिंचाई क्षेत्र की जानकारी भी प्राप्त की।
सिंचाई क्षेत्र में हुई है उल्लेखनीय वृद्धि
बैठक में बताया गया कि रबी 2023-24 में प्रदेश में सिंचित रकबा 44.56 लाख हेक्टेयर था जो रबी 2025-26 में बढ़कर 52.06 हो गया है। इस तरह बीते डेढ़ वर्ष में प्रदेश के सिंचाई क्षेत्र में 7.50 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसमें जल संसाधन विभाग द्वारा 2.39 और नर्मदा घाटी विकास विभाग 5.11 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने में सफलता प्राप्त की गई है।
आगामी पांच वर्ष में 38 सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी
बताया गया कि प्रदेश में आगामी पांच वर्ष में 200 करोड़ से अधिक लागत की 38 सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी, जिसके फलस्वरूप 17 लाख 33 हजार 791 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षेत्र का विस्तार होगा। इस वर्ष 2 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई क्षेत्र बढ़ेगा, जो मोहनपुरा बांयीतट परियोजना जिला राजगढ़, चंदेरी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना जिला अशोकनगर, पंचमनगर सिंचाई परियोजना जिला दमोह एवं सागर, त्योंथर बहाव योजना जिला रीवा और घोघरी मध्यम परियोजना जिला बैतूल के माध्यम से संभव होगा।
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