रासायनिक छोड़, ऑर्गेनिक धान की खेती से चमकी CG के किसान की किस्मत, जानिए कैसे आप भी हो सकते हैं लखपति
30 सितम्बर 2025, भोपाल: रासायनिक छोड़, ऑर्गेनिक धान की खेती से चमकी CG के किसान की किस्मत, जानिए कैसे आप भी हो सकते हैं लखपति – छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के विकासखंड बसना के ग्राम मिलाराबाद के किसान अंतर्यामी प्रधान और उनके पुत्र लक्ष्मी नारायण प्रधान ने ऑर्गेनिक खेती अपनाकर पूरे समाज के लिए मिसाल पेश की है। अंतर्यामी प्रधान बी.एससी. तक पढ़े हैं और लक्ष्मी नारायण प्रधान ने फिजियोथेरेपी और बीजेएमसी की पढ़ाई की है। करीब 29 एकड़ भूमि में उन्होंने पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती कर यह साबित कर दिया है कि कम लागत और स्वास्थ्यपूर्ण तरीके से भी किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।
आज के समय में, जहां रासायनिक खेती के चलते भूमि की उर्वरता और मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है, वहीं प्रधान परिवार ने सत्तर के दशक से ही रासायनिक खाद और जहरीली दवाइयों का उपयोग बंद कर ऑर्गेनिक खेती का आदर्श प्रस्तुत किया है। इनके 29 एकड़ खेत में ऑर्गेनिक खेती चल रही है, जिसमें से 15 एकड़ का APEDA रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है।
विविध फसलें और खास किस्म का धान
किसान अंतर्यामी प्रधान ने बताया कि उनके खेतों में कई उन्नत किस्म की फसलें लगाई गई हैं। इनमें धान की जवाफुल, कलानमक नरेंद्र 01, शाही नमक, कालीमुच, चिनौर कालाजीरा, गंगा बालू, दुबराज और सुपर फाइन जैसी उन्नत किस्में शामिल हैं। सुपरफाइन किस्म की धान की कीमत लगभग ₹75 प्रति किलो है। काला नमक नरेंद्र, जो कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला चावल है, की कीमत लगभग ₹250 प्रति किलो है। वहीं अवाम धान बीज ₹350 प्रति किलो तक बिकता है।
धान के अलावा, खेतों में शरबती गेहूं (C-306), अरहर, गन्ना (कोयंबतूर 86032), मूंगफली और टॉप-10 वैरायटी के आम के पेड़ हैं। चार एकड़ में लगाए गए आम के पेड़ों से सालाना लगभग 25-30 क्विंटल आम का उत्पादन होता है। नारियल के 160 पौधे भी लगाए गए हैं, जिनमें फल आना शुरू हो चुका है। गन्ने की कीमत लगभग ₹120 प्रति किलो है।
जैविक खेती का आधार – गाय
प्रधान परिवार के पास 60 देसी नस्ल की गायें हैं, जिसमें गिर नस्ल प्रमुख है। इनके गोबर और गोमूत्र से ही खाद, बीजामृत, जीवामृत और ‘ब्रह्मास्त्र’ जैविक दवा तैयार की जाती है। अंतर्यामी प्रधान कहते हैं – “हम गाय को नहीं पालते, बल्कि गाय हमें और हमारे पूरे परिवार को पालती है।”
प्राकृतिक कीटनाशक – ब्रह्मास्त्र
किसान ने बताया कि नीम, सीताफल, करंज, भेरू, बेल और आक (अरंडी) के पत्तों को गोमूत्र के साथ मिलाकर मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है। इसे फसलों पर छिड़कने से कीट और रोगों से बचाव होता है। इसके अलावा, गाय के गोबर से गैस संयंत्र चलता है, जो रसोई की जरूरत पूरी करता है।
राज्य शासन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल के तहत उन्हें बीज और तकनीकी मदद भी मिलती है।
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