कबूतर और अन्य पक्षियों के लीद में मौजूद यीस्ट से जानवरों में होने वाले रोग
लेखक- डॉ. स. औदार्य (सहायक प्राध्यापक), डॉ. नी. श्रीवास्तव (सह प्राध्यापक) और डॉ. अं. निरंजन (सहायक प्राध्यापक), पशुचिकित्सा सूक्ष्म-जीव विज्ञान विभाग, पशुचिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, कुठुलिया, रीवा, मध्य प्रदेश
10 जुलाई 2024, भोपाल: कबूतर और अन्य पक्षियों के लीद में मौजूद यीस्ट से जानवरों में होने वाले रोग – “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” कबूतर और अन्य पक्षियों के मल/ लीद/विष्ठा से और इनसे समृद्ध मिट्टी से अलग किया जा सकता है। लीद में मौजूद क्रिएटिनिन का उपयोग इस यीस्ट या खमीर द्वारा किया जाता है। ऐसे कबूतर जिनके आंत्र पथ में “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” यीस्ट मौजूद होते है वह कई महीनों तक कोई रोग के लक्षण दिखाए बिना ही यीस्ट को विष्ठा से उत्सर्जित करते है। संक्रमण दूषित धूल में मौजूद “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” कोशिकाओं के अंतःश्वसन के माध्यम से होता है। कुछ यीस्ट कोशिकाएं नाक या साइनस में फंस सकती है जबकि अन्य फेफड़ों में जमा होते है। “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” के उग्रता के कारकों में इसके ऊपर मौजूद झिल्ली या कैप्सूल है। झिल्ली या कैप्सूल “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” को भक्षकाणुक रोधी बनाते है। रोग उग्रता के अन्य कारकों में स्तनधारी शरीर के तापमान पर बढ़ने की क्षमता और फिनोल ऑक्सीडेज का उत्पादन शामिल है। “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” के कोशिका भित्तिओं में मेलेनिन के संचय के कारण मुक्त कणों के विषाक्त प्रभाव से इस यीस्ट की रक्षा होती है। बिल्लियों और कुत्तों में छिटपुट मामलों के अलावा, क्रिप्टोकोकोसिस घरेलू पशुओं में अपेक्षाकृत दुर्लभ है। साथी जानवर में (कुत्तों/ बिल्लियों), क्रिप्टोकोकोसिस के नैदानिक लक्षण आमतौर पर नाक या त्वचा की भागीदारी से संबंधित है। कुत्तों में यह रोग, बिल्लियों की तुलना में कम है और अक्सर तंत्रिका व नेत्र सम्बन्धी संकेतों के साथ प्रसारित होता है।
प्रतिरक्षा सक्षम जानवर एक प्रभावी कोशिका माध्यित प्रतिरक्षा तैयार कर सकते है। इस यीस्ट का प्रसार श्वसन पथ से मस्तिष्क, मस्तिष्कावरण, त्वचा और हड्डियों में आमतौर पर दोषपूर्ण कोशिका माध्यित प्रतिरक्षा के कारण होता है। “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” संक्रमण से जुड़े घाव असतत कणिकागुल्म (ग्रेन्युलोमा) से लेकर अर्बुद (ट्यूमर) जैसे होते है जिनमे यीस्ट कोशिकाएं होती है। छोटे कणिकागुल्म जानवरों के फेफड़ों में मौजूद हो सकते है। क्रिप्टोकोकोसिस रोग घोड़ों में कभी कभार पाया गया है। नैदानिक संकेतों में नाक का कणिकागुल्म (ग्रैनुलोमा) और शिरानालशोथ (साइनसिटिस), फुप्फुसशोथ (निमोनिया), मस्तिष्क, मेरुरज्जु व मस्तिष्कावरण के सूजन और जलन (मेनिंगोएन्सेफलाइटिस) और गर्भपात शामिल है। “क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स” दुधारू पशुओं में स्तनदाह का एक दुर्लभ कारण है। पक्षीय गट के क्रिप्टोकोकोसिस को कभी-कभी वर्णित किया गया है।
व्यक्तियों में जोखिम:
उन्नत एचआईवी/एड्स: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, विशेष रूप से उन्नत एचआईवी/एड्स वाले लोगों में क्रिप्टोकोकोसिस का खतरा अधिक होता है। अंग प्रत्यारोपण: जिन व्यक्तियों का अंग प्रत्यारोपण हुआ है वे भी इसके प्रति संवेदनशील होते हैं।
प्रतिरक्षादमनकारी दवाएं:
गठिया जैसी स्थितियों का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकती हैं और क्रिप्टोकोकोसिस के संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा सकती हैं (संयुक्त राज्य अमेरिका रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र)।
याद रखें कि हालांकि पूर्ण रोकथाम संभव नहीं हो सकती है, जागरूकता, शीघ्र पता लगाना और उचित प्रबंधन क्रिप्टोकोकोसिस के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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