फसल अवशेष प्रबंधन आने वाले समय में अत्यंत आवश्यक
15 अक्टूबर 2024, शहडोल: फसल अवशेष प्रबंधन आने वाले समय में अत्यंत आवश्यक – कृषि विज्ञान केन्द्र शहडोल एवं कृषि अभियांत्रिकी विभाग शहडोल के सामंजस्य से ग्राम बंडीकला में कृषकों को फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी वैज्ञानिक श्री दीपक चौहान द्वारा कृषकों दी गई। उन्होंने कहा कि खरीफ की कटाई होने के बाद उसके बचे हुए अवशेषों को उचित तरीके से प्रबंधन करना अति आवश्यक है हालांकि शहडोल में फसलों के अवशेषों को आग नहीं लगाई जाती है परन्तु किसान समय के अभाव में आग लगाते हैं। धान की फसल की कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के बाद समय के अभाव के कारण किसान गेहूं की फसल की बुवाई से पहले किसान फसल के अवशेष को आग लगा देते हंै जिससे खेतों को नुकसान होता है।
पराली प्रबंधन में आधुनिक कृषि यंत्र काफी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग होने वाले यह सात उपकरण (जीरो टिल सीड ड्रिल, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रोटावेटर, मल्चर, स्ट्रा बेलर एवं सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम आमतौर पर किसानों के लिए किसी हथियार से कम नहीं है। शहडोल कृषि अभियांत्रिकी विभाग के सहायक कृषि यंत्री श्री रितेश प्यासी ने बताया कि सुपर सीडर मशीन के उपयोग से खेत में नरवाई जलाने की आवश्यकता एवं खेत तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है। केंद्र एवं राज्य सरकार की अनुदान योजनाओं पर 105000/- तक का अनुदान है, इसी तरह कृषक स्ट्रॉ रीपर मशीन का उपयोग कर अपने खेत की परली का भूसा बना सकते हैं जिसने शासन द्वारा 130000/- तक का अनुदान है।
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