सरोकार- किसानों को दिल्ली जाने से कैसे रोका जा सकता है ?
लेखक: डॉ. चन्दर सोनाने
22 जुलाई 2024, नई दिल्ली: सरोकार- किसानों को दिल्ली जाने से कैसे रोका जा सकता है ? – हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस श्री सूर्यकांत और जस्टिस श्री उज्ज्वल भुइयां ने हरियाणा सरकार को शंभू बॉर्डर खोलने के निर्देश दिए हैं, ताकि वहाँ धरने पर बैठे हजारों किसान अपनी माँगों के लिए दिल्ली जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि आपने शंभू बॉर्डर को किस अधिकार से ब्लॉक कर रखा है ? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसान भी देश के नागरिक हैं उन्हें भोजन, अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ दीजिए। वे आयेंगे, नारे लगायेंगे और चले जायेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पहले पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने करीब 6 माह पहले बंद किए गए शंभू बॉर्डर को एक सप्ताह में खोलने का आदेश दिया था। हजारों किसान वहाँ 13 फरवरी 2013 से धरने पर बैठे हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए इस हाईवे को बंद कर रखा है। हरियाणा सरकार ने आज तक शंभू बॉर्डर को खोला नहीं है। किसान पिछले करीब 6 माह से वहाँ दिल्ली जाने के लिए धरने पर बैठे हैं।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे 22 वर्षीय युवक की मौत की न्यायिक जाँच के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अपील की बात पर पीठ ने कहा कि आप हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती क्यों देना चाहते है ? राज्य सरकार हाई-वे कैसे ब्लॉक कर सकती है ? इसे नियंत्रित करना आपका काम है। इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से हाईवे खोलने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी गई है।
पिछले 13 फरवरी से हजारों किसान शंभू बॉर्डर पर अभी भी डटे हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने एक बार फिर दिल्ली कूच की तैयारी कर ली है। पंजाब और हरियाणा के गाँवों से किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियाँ तैयार कर शंभू बॉर्डर जाने की तैयारी रहे हैं। उनकी ट्रैक्टर ट्रॉलियों में 6 माह का राशन भी भरा जा रहा है। इसके साथ ही किसान संगठनों के प्रमुख 22 जुलाई को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में एक बड़ा आयोजन करने जा रहे हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के बुद्धिजीवियों और विपक्षी नेताओं को बुलाया जा रहा है।
चूंकि हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक शंभू बॉर्डर से अवरोधों को नहीं हटाया है। सरकार रास्ता खोलना नहीं चाहती। इसीलिए वह सुप्रीम कोर्ट गई है। यही नहीं हरियाणा की अंबाला पुलिस ने पुलिस लाईन ग्राउंड में दंगा रोधी उपकरणों को चलाने का अभ्यास भी किया। इस दौरान गैस गन, टीयर गैस, स्टेन सेल, एंटी राइट गन, रबर बुलेट आदि चलाने का भी अभ्यास किया। इससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद उनके द्वारा लगाये गए छः लेयर अवरोधों को हटाना नहीं चाहती। यह ही नहीं किसानों को दिल्ली कूच करने पर उनके पासपोर्ट रद्द करने की भी चेतावनी दी जा रही है।
संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को एक राज्य से दूसरे राज्य आने-जाने, रहने, व्यवसाय या नौकरी करने का मूलभूत अधिकार दे रखा है। इस तरह संविधान के अनुसार प्रत्येक किसान को भी यह हक है कि वे अपनी समस्या के निराकरण के लिए या अपनी माँगों की पूर्ति के लिए देश की राजधानी दिल्ली जाकर अपनी आवाज बुलंद करें। इसके लिए यह किया जा सकता है कि किसानों के संगठनों से शांतिपूर्वक आंदोलन करने का शपथ पत्र ले लिया जाए। इसके बाद कोई बहाना नहीं बचता है कि हरियाणा सरकार दिल्ली जाने वाले हाई-वे पर छः लेयर के खड़े किये गए खतरनाक अवरोधों को हटा नहीं सके। यह अवरोध इतने खतरनाक हैं कि जैसे दुश्मन या आंतकवादियों को रोका जा रहा हो ! किसान भी इस देश के नागरिक हैं। वे देश के दुश्मन और आंतकवादी नहीं हो सकते। इसलिए उन्हें भी अधिकार है कि वे अपने अधिकारों के लिए दिल्ली कूच कर सके।
शंभू बॉर्डर पर छः माह से डटे किसान संगठनों ने घोषणा कर दी है कि जैसे ही हरियाणा सरकार बॉर्डर खोलेगी, वैसे ही हम दिल्ली कूच कर जायेंगे। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को बॉर्डर खोलने के निर्देश दिए थे, वह अवधि अब पूरी हो गई है। हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के आदेश के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट गई है, जहाँ 22 जुलाई को सुनवाई होनी है।
हरियाणा राज्य सरकार को भी चाहिए कि वे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद तो हाई-वे पर किए गए अवरोध को तुरंत हटा ले और किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को होने दें। केन्द्र सरकार को भी चाहिए कि वे किसानों की वाजिब माँगों को माने और उसे यथा शीघ्र पूरा करें, ताकि किसानों को भी लगे कि उनकी वाजिब मांगों को उचित मंच पर सुना जा रहा है। अन्यथा जैसे छः माह पहले शंभू बॉर्डर पर किसानों के साथ अत्याचार और अन्याय हुआ था, वैसा ही अब फिर होने की पूरी संभावना है।
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