राज्य कृषि समाचार (State News)

चूरु: अनेक बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है बाढ़ करेला

04 अक्टूबर 2024, चूरु: चूरु: अनेक बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है बाढ़ करेला – गुणों की खान है शेखावाटी में लगाने वाला बाढ़ करेला। अनेक बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है बाढ़ करेला,  बिना किसी केमिकल, यूरिया का प्रकृति के द्वारा उपज होने वाला बाढ़ करेला की है जबरदस्त मांग।  शेखावाटी का बाढ़ करेले में फाइबर के गुण पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता हैं। साथ ही यह शुगर को लेवल में रखने, अपच और कब्ज की शिकायत को दूर करता है।  

आज के आर्थिक युग में खेती बाड़ी में अगर सब्जियों की बात करें तो ज्यादा मुनाफा और भरपूर पैदावार के लिए  बाजार में ज्यादातर सब्जियां रासायनिक खाद और रासायनिक कीटनाशक देकर तैयार की जा रही है, जिनका हमारे स्वास्थ्य पर ही भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वही यदि हम स्वास्थ्य के लिए लाभदायक और गुणकारी सब्जियों की बात करे तो प्रकृति में भी कुछ ऐसी सब्जियां प्राप्त होती है जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट, गुणकारी और औषधि गुणों से भरपूर होती है।  ऐसी ही एक सब्जी जो मानसून की बरसात के मौसम के बाद में खरीफ सीजन में उगने वाली देसी और ओषधियो से भरपूर सब्जी होती है बाढ़ करेला, जो खाने में स्वादिष्ट और शरीर से रोगों को दूर करने और शरीर को निरोग बनाने वाली सब्जी है जो गुणों की खान है।  

प्रकृति की देन बाढ़ करेला होता है आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर, अनेक बीमारियों के लिए रामबाण होता है बाढ़ करेला

चूरु के वरिष्ठ वैद्य ओमप्रकाश चोटिया ने बताया की बाढ़ करेला स्वाद में हल्का कड़वा होता है लेकिन इसकी सब्जी स्वादिष्ट बनती है और यह औषधि गुना से भरपूर होता है। बाढ़ करेला शुगर के मरीज के लिए रामबाण होता है साथ ही पाचन तंत्र को मजबूत करता है यह अपज अजीर्ण, आफरा, पेट दर्द में लाभदायक है यह रक्त विकार भी होता है और पेट से जुड़ी हर तरह की बीमारियों में काफी लाभदायक रहता है।   स्वाद में होता है हल्का सा कड़वा बाढ़ करेला, सब्जी बनती है स्वादिष्ट……..    बाढ़ करेला यदी सीधा कच्चा खाने में थोड़ा कड़वा होता है, सब्जी बनाने से पहले इसे काटकर नमक लगाकर मीठा किया जाता है इसकी सब्जी औषधि गुना से परिपूर्ण होती है ग्रामीण इलाको में  लोग बड़े चाव से इसकी सब्जी को बनाते हैं इसकी सब्जी शुद्ध और देसी होती है। यह खेतों की बाढ पर प्राकृतिक तरीके से ही बरसती मौसम में लगती है इसलिए यह बिल्कुल जैविक सब्जी होती है।   

बाढ़ करेले की मांग के कारण यह बहुत महंगा बिकने लगा है

बाढ़ करेला औषधि गुना से भरपूर होने के कारण इसकी डिमांड पिछले कुछ सालों से काफी ज्यादा हो गई है और यह बहुत कम मात्रा में होने के कारण यह अब बहुत महंगा बिकने लगा है यह बाजार में 100 से ₹200 किलो तक बिकता है वहीं किसानों के लिए है यह एक आई का साधन भी बन गया है ज्यादातर घुमंतू जाति के लोग इनको तोड़कर बाजारों में बेचकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं और अपने परिवार का खर्चा उठा रहे हैं  इस बारे में ढीलसर के राजेश गोठवाल ने बताया कि यह एक कुदरती बेल होती है और खेतों की बाढ़ के ऊपर स्वत ही बरसात के मौसम में लगती है। और यह कुदरत की देन है ना ही इसमें यूरिया होता है ना ही कोई डीएपी होता है यह स्वत ही लगती है और ना ही इसमें किसी प्रकार की कोई सिंचाई करनी पड़ती है यह बरसात के पानी से ही उपज होती है और गुणो से भरपूर रहती है। 

बाढ़ करेला स्वास्थ्य की दृष्टि से यह शुगर, ब्लड प्रेशर हाई के लिए, रक्त दोष के लिए और कब्ज के लिए जो रोग होता है रामबाण है साथ ही कच्चे बीजों के साथ ही इनकी सब्जी बनाई जाती है जो काफी सोपाच्य होती है। इस बारे में सुरेंद्र शर्मा बताते है कि यह प्रकृति के हिसाब से ही पैदा होती है प्रकृति के हिसाब से ही नष्ट हो जाती है फिर बरसात के मौसम में यह अपने आप ही खेत के बाढ़ पर लगने शुरू हो जाती है इनकी डिमांड को देखते हुए अब किसानों के लिए यह आमदनी का आईडी बनने लगा है यह काफी महंगा मिलता है डेढ़ सौ से 200 किलो यह मार्केट में बिकता है और लोगों की मांग को देखते हुए आपूर्ति भी नहीं हो पाती इसकी विदेश तक मांग रहती है बाढ़ करेले को सुखाकर भी पूरे साल सब्जी के रूप में खाया जा सकता है।  बाइट वैद्य ओमप्रकाश चोटिया, चूरू बाइट गणेश जांगिड़, चूरू बाइट राजेश गोठवाल, ढिलसर बाइट सुरेंद्र शर्मा, ऊटवालिया

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