राज्य कृषि समाचार (State News)

“मुख्यमंत्री श्री यादव का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए”:आईडीए (वेस्टज़ोन) के चेयरमैन डॉ. जेबी प्रजापति

“हमारा लक्ष्य दूध उत्पादन को 10 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन तक ले जाना है”:उज्जैन संभागायुक्त  श्री संजय गुप्ता

“मध्यप्रदेश में डेयरी विकास – संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ “विषय पर विक्रम विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी 

05 जुलाई 2025, उज्जैन: “मुख्यमंत्री श्री यादव का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए”:आईडीए (वेस्टज़ोन) के चेयरमैन डॉ. जेबी प्रजापति – “भारत 1998 से विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय औसत से आगे है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए।” विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने इंडियन डेयरी एसोसिएशन पश्चिम क्षेत्र  एवं विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में “मध्य प्रदेश में डेयरी विकास: संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ”विषय पर विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित पश्चिम क्षेत्रीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में  ये  उद्गार व्यक्त किये । 

विक्रम विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो अर्पण भारद्वाज ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि, “डेयरी टेक्नोलॉजी केवल तकनीकी शिक्षा नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और सहकारिता आंदोलन से जुड़ा व्यापक दृष्टिकोण है। 25 वर्षों बाद मध्यप्रदेश में फिर से डेयरी टेक्नोलॉजी संस्थान की स्थापना मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव की घोषणा से संभव हुई है।”

विशिष्ट अतिथि आईडीए (वेस्टज़ोन) के चेयरमैन डॉ. जेबी प्रजापति ने कहा, “मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश को ‘नेशनल डेयरी कैपिटल’ बनाया जाए। एनिमल हस्बैंड्री को डेयरी एवं गोपालन विभाग से जोड़ना, अंबेडकर डेयरी योजना, NDDB के साथ एमओयू – ये सब ऐतिहासिक कदम हैं।” डॉ. प्रजापति ने कहा कि “भारत में डेयरी उद्योग की वर्तमान आकार ₹19,000 बिलियन रुपये है और 2033 तक यह ₹57,000 बिलियन तक पहुँचने का अनुमान है। आपने कहा कि डेयरी सेक्टर में 8.5 करोड़ लोग संलग्न हैं और एक लाख लीटर के संयंत्र से 25-30 हज़ार लोगों को रोजगार मिलता है। 

उज्जैन संभागायुक्त  श्री संजय गुप्ता ने कहा कि “हमारा लक्ष्य दूध उत्पादन को 10 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन तक ले जाना है। इसके लिए पशुधन की स्वास्थ्य निगरानी, एग्री बायप्रोडक्ट्स का उपयोग, और वैल्यू एडिशन जैसे उपाय ज़रूरी हैं। गुजरात जैसे राज्यों की तकनीकी प्रणाली को मध्यप्रदेश में भी अपनाया जाएगा।” विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा, फार्मेसी विभागाध्यक्ष डॉ. कमलेश दशोरा और आईडीए (पश्चिम क्षेत्र) के सचिव श्री माधव पाटगांवकर मंचासीन थे।

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