राज्य कृषि समाचार (State News)

छत्तीसगढ़: 100 चूजों से शुरू किया मुर्गीपालन बिजनेस, अब हर माह हो रही ₹40 हजार की आमदनी, जानिए कैसे

07 अगस्त 2025, भोपाल: छत्तीसगढ़: 100 चूजों से शुरू किया मुर्गीपालन बिजनेस, अब हर माह हो रही ₹40 हजार की आमदनी, जानिए कैसे – प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की मदद से छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के ग्राम एकटकन्हार निवासी हिड़को दंपति को अब नियमित आमदनी का जरिया मिल गया है। जिला प्रशासन के सहयोग से अजीत हिडको और उनकी पत्नी उषा हिडको ने 100 देशी चूजों से मुर्गीपालन व्यवसाय की शुरुआत की थी। समय के साथ उनका यह छोटा प्रयास अब हर माह लगभग 1000 मुर्गियों के उत्पादन तक पहुँच गया है, जिससे वे ₹20 से ₹40 हजार तक की आय अर्जित कर रहे हैं। उनके परिवार में अब खुशी और आत्मविश्वास का माहौल है।

5 लाख रुपये का लोन और 35% सब्सिडी से मिली ताकत

हिड़को दंपति ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत 5 लाख रुपये का बैंक लोन लिया, जिस पर उन्हें 35% अनुदान भी मिला। पहले वे दूसरों के खेतों में मजदूरी कर जीवन यापन करते थे, जिससे मुश्किल से गुज़ारा होता था। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और गांव में ही कुछ नया करने की ठानी। इसी सोच से उन्होंने मुर्गीपालन की शुरुआत की, जो आज उनके आत्मनिर्भर जीवन की कहानी बन गया है।

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उषा हिड़को ने बताया कि उन्होंने पति के साथ मिलकर कच्चे मकान के एक छोटे से कमरे में 100 देशी चूजों से शुरुआत की थी। नियमित प्रयास, प्रशिक्षण और मेहनत के दम पर आज वे हर महीने करीब 1000 मुर्गियों का उत्पादन कर रहे हैं।

प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी से मिली सफलता की राह

अजीत हिड़को ने कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग (अंजोरा), कृषि विज्ञान केंद्र और अन्य सेमिनारों से प्रशिक्षण लेकर तकनीकी जानकारी हासिल की, जिससे व्यवसाय को दिशा और रफ्तार मिली। आज उनका पूरा परिवार इस काम में जुड़ा हुआ है और आर्थिक रूप से खुशहाल है। दंपति ने अपनी सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को देते हुए धन्यवाद भी व्यक्त किया है।

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प्रशासन की सराहना और महिला की भूमिका

कलेक्टर तुलिका प्रजापति ने हिड़को परिवार द्वारा संचालित कुक्कुट फार्म का निरीक्षण किया और उनके प्रयासों की सराहना करते हुए हरसंभव सहायता का भरोसा दिलाया। उषा हिडको स्वयं बिहान योजना से जुड़कर ‘पशु सखी’ के रूप में भी कार्य कर रही हैं, जिससे उनकी अतिरिक्त आय भी हो रही है।

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