कैक्टस की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, वैज्ञानिकों ने किसानों को खाद-चारा बनाने की दी ट्रेनिंग
29 सितम्बर 2025, भोपाल: कैक्टस की खेती से बढ़ेगी किसानों की आय, वैज्ञानिकों ने किसानों को खाद-चारा बनाने की दी ट्रेनिंग – मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की ओर से श्योपुर जिले के किसानों का एक दल सीहोर स्थित आईसीएआरडीए केंद्र पहुँचा। यहां वैज्ञानिकों ने किसानों को कांटारहित कैक्टस की खेती और इसके विविध उपयोगों के बारे में जानकारी दी। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को कैक्टस की खेती के फायदे समझाना और उनसे खाद तथा चारा तैयार करने के तकनीक सिखाना था।
डॉ. नेहा तिवारी, वैज्ञानिक (ICARDA-India) ने बताया कि कैक्टस एक ऐसा पौधा है जो बेहद कम पानी में भी आसानी से उग जाता है और शुष्क व बंजर भूमि में भी अच्छी तरह पनप सकता है। कांटारहित होने के कारण यह पशुओं के लिए गर्मी और सूखे के समय हरे चारे का एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक स्रोत है। उन्होंने किसानों को बायोगैस उत्पादन और जैविक खाद बनाने के तरीकों के बारे में भी विस्तार से बताया।
कैक्टस की खेती के लाभ और उपयोग
प्रशिक्षण में किसानों को कैक्टस की पोषण संबंधी विशेषताओं और इसके दीर्घकालिक लाभों के बारे में भी समझाया गया। किसानों ने खेतों में जाकर प्रत्यक्ष रूप से कांटारहित कैक्टस की विभिन्न किस्मों को देखा और उनकी खेती की तकनीक को सीखा। किसानों का मानना था कि यह खेती न केवल पशुपालन के लिए उपयोगी है, बल्कि उनकी आय बढ़ाने में भी सहायक साबित हो सकती है।
ग्रीन-एजी परियोजना और भविष्य की संभावनाएं
वर्तमान में ग्रीन-एजी परियोजना श्योपुर और मुरैना जिलों में संचालित है। इस परियोजना का उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और सतत भूमि प्रबंधन को भारतीय कृषि प्रणाली में एकीकृत करना है। इसके तहत किसानों को नई और पर्यावरण अनुकूल खेती की तकनीकें सिखाई जा रही हैं, जिनमें कांटारहित कैक्टस की खेती विशेष रूप से लाभकारी साबित हो रही है।
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