State News (राज्य कृषि समाचार)

कृषि महाविद्यालयों  के लिए प्राकृतिक खेती का सिलेबस बनाने ब्रेन स्टोर्मिंग

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18 जून 2022, उदयपुर । कृषि महाविद्यालयों  के लिए प्राकृतिक खेती का सिलेबस बनाने ब्रेन स्टोर्मिंग महाराणा प्रताप कृषि  एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय, उदयपुर की  अनुसंधान परिषद द्वारा  स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के लिए प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रम विकास हेतु ब्रेन स्टोर्मिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के किसान, वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी एवं निजी संस्थायें तथा विद्यार्थियों ने भाग लिया।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़, कुलपति, ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में जहाँ रसायनिक खाद व उर्वरकों के अनियंत्रित उपयोग से प्रकृति के घटक जैसे मृदा, वायु एवं जल प्रदूषित हो रहे है वहाँ प्राकृतिक खेती परम आवयकता सिद्ध हो रही है। डॉ. राठौड़ ने कहा कि अधिक उत्पादन हेतु मृदा में जैविक कार्बन व सूक्ष्म जीवाणु की पर्याप्त मात्रा होनी चाहिए जिससे मृदा, फसल व उपभोक्ता सभी का स्वास्थ्य उत्तम रहे।डॉ. राठौड़ ने विशेषज्ञों को सुझाव दिया कि प्राकृतिक खेती पाठ्यक्रम 30 प्रति शत सैद्धान्तिक व 70 प्रतिशत प्रायोगिक होना चाहिए ताकि विद्यार्थियों में दक्षता व कौ शल का विकास हो सके।

समारोह में डॉ. एस. के. शर्मा, निदेशक अनुसंधान ने कार्यशाला  का प्रारूप प्रस्तुत किया। डॉ. शर्मा ने कहा कि प्राकृतिक खेती प्रकृति के पंच महाभूत वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी एवं आकाश के सन्तुलन पर आधारित कृषि  है। उन्होंने प्राकृतिक खेती पर पाठ्यक्रम रचना की विस्तृत क्रमाः योजना बतायी व सुझावों के लिए सदन को आमंत्रित किया।

कार्यशाला  के विशेषज्ञ

डॉ. एस. के. सांख्यान, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि  अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने नई शिक्षा  नीति-2020 के सन्दर्भ में प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता बतायी।  डॉ. सांख्यान ने परिभाषा  से लेकर सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का विस्तृत स्वरूप बताया।

कार्यशाला  के आमंत्रित विशेषज्ञ डॉ. प्रकाश  शास्त्री, सदस्य राट्रीय समिति, (प्राकृतिक खेती) ने कहा कि सदियों से हमारी आजीविका का मुख्य साधन  कृषि ही रही है। कृषि ही हमारी संस्कृति है। हरित क्रांति के पश्चात उत्पादन में वृद्धि हुई है। हमारे गोदाम भरे हुए है व हम अनाज का निर्यात करने की स्थिति में है परन्तु हमारे उत्पाद, मृदा स्वास्थ्य व मानव स्वास्थ्य में गिरावट आ गयी है जिसका एकमात्र उपाय प्राकृतिक खेती ही नजर आता है।

डॉ. रोशन चौधरी, सहायक आचार्य (शस्य विज्ञान) ने कार्यक्रम का संचालन किया। अन्त में डॉ. रेखा व्यास, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक, उदयपुर ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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