राज्य कृषि समाचार (State News)

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बड़ा ऐलान! इन जिलों में बनेंगे नए कृषि प्रोसेसिंग हब

27 फ़रवरी 2025, भोपाल: ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बड़ा ऐलान! इन जिलों में बनेंगे नए कृषि प्रोसेसिंग हब – मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में खाद्य प्रसंस्करण और उद्यानिकी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 के दौरान एक विशेष सत्र आयोजित किया। इस सत्र में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश के उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने राज्य में निवेश के अवसरों पर चर्चा की।

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में एक लाख हेक्टेयर का लैंड बैंक उपलब्ध है, जो निवेशकों के लिए आकर्षक है। चौहान ने कहा, “मध्यप्रदेश टमाटर, मटर, प्याज, लहसुन, मिर्च, गेहूं और चावल जैसी फसलों के उत्पादन में देश में अग्रणी है। फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देकर हम किसानों की आय बढ़ा सकते हैं और उत्पादों का वैल्यू एडिशन कर सकते हैं।”

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उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने बताया कि प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का रकबा पिछले पांच साल में 27 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने निवेशकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया है, जिससे भूमि आवंटन और अनुमतियां तेजी से मिल सकेंगी।

प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण अनुपम राजन ने बताया कि प्रदेश में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर और एक लॉजिस्टिक पार्क उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं के जरिए निवेशकों को बेहतर अवसर मिलेंगे।

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विशिष्ट फसल क्लस्टर:

राजन ने बताया कि प्रदेश में विशेष फसल आधारित क्लस्टर विकसित किए गए हैं। इनमें निमाड़ में मिर्च, गुना-राजगढ़ में धनिया, बुंदेलखंड में अदरक, बघेलखंड में हल्दी, बुरहानपुर में केला, और जबलपुर, देवास व इंदौर में आलू के क्लस्टर शामिल हैं। इनके लिए केंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें राज्य सरकार भी आनुपातिक राशि का निवेश करेगी।

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छोटे उद्यमियों के लिए योजनाएं:

छोटे उद्यमियों के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उन्नयन योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। यह योजना छोटे स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।

केंद्रीय सचिव कृषि सुब्रत गुप्ता ने कहा कि फूड प्रोसेसिंग भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है और रेडी-टू-ईट फूड की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। नए उद्यमी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

निर्यात और आयात नीतियां:

केंद्र सरकार ने चावल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी शून्य कर दी है, जबकि तेल पर आयात शुल्क 27% कर दिया गया है। यह कदम फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को लाभ पहुंचाने के लिए उठाया गया है।

राज्य सरकार ने ‘एक जिला-एक उत्पाद’ पहल के तहत 52 जिलों की विशिष्ट फसलों को चिन्हित किया है। इससे स्थानीय स्तर पर उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा।

मध्यप्रदेश देश के कुल जैविक उत्पादन में 40% का योगदान देता है। रीवा का लहसुन और सुंदरजा आम विश्व बाजार में अपनी अलग पहचान रखते हैं।

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आयुक्त उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण प्रीति मैथिल ने बताया कि मध्यप्रदेश मसाला उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है, जबकि फल उत्पादन में दूसरे और दुग्ध उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 11 एग्रो क्लाइमेटिक जोन और 700 रेलवे स्टेशन हैं, जो निवेशकों के लिए फायदेमंद हैं।

वर्तमान में प्रदेश में 4,000 फूड प्रोसेसिंग यूनिट कार्यरत हैं, जो राज्य में इस क्षेत्र की मजबूत मौजूदगी को दर्शाता है।

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