खेतों में पहुँचे कृषि वैज्ञानिक, किसानों को सोयाबीन फसल में कीट प्रकोप से बचाव के लिए दी सलाह
16 सितम्बर 2025, भोपाल: खेतों में पहुँचे कृषि वैज्ञानिक, किसानों को सोयाबीन फसल में कीट प्रकोप से बचाव के लिए दी सलाह – मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में कलेक्टर बालागुरू के. के निर्देशानुसार कृषि विभाग के अधिकारियों और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के खेतों का भ्रमण किया जा रहा है। इसका उद्देश्य किसानों को सोयाबीन की फसल में हो रहे स्टेम फ्लाई और पीला मोजेक जैसे रोगों से बचाने के लिए उचित सलाह देना है। साथ ही किसानों को रबी फसलों की तैयारी और समसामयिक कृषि कार्यों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
कृषि विभाग के उप संचालक अशोक उपाध्याय ने बताया कि विभाग की टीम ने जिले के ग्राम इमलीखेड़ा और उलझावन में किसानों के खेतों का दौरा किया। भ्रमण के दौरान किसानों को बताया गया कि इस बार सोयाबीन की फसल में स्टेम फ्लाई का प्रकोप बहुत अधिक देखा गया है, जिससे फसल को नुकसान हो सकता है।
कीट नियंत्रण के लिए रसायनिक और जैविक उपाय बताए
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कीट नियंत्रण के लिए किसान बिटा साईफ्लुथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% की 140 मिली मात्रा प्रति एकड़ तथा थायमेथोक्साम 12.6% + लेम्डासाईहेलोथ्रीन 9.5% ZC की 80 मिली मात्रा प्रति एकड़ उपयोग कर सकते हैं। वहीं जैविक कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल 5000 PPM की 250 मिली मात्रा प्रति एकड़ उपयोग करने की सलाह दी गई।
रबी फसल की तैयारी और बीज उपचार की जानकारी
किसानों को आगामी रबी सीजन के लिए नवीन किस्मों का चयन करने और बीज उपचार के तरीकों की जानकारी दी गई। रसायनिक बीज उपचार के लिए एजेक्सीस्ट्रोबिन 2.5% + थियोफेनेट मिथाइल 11.25% + थायमेथोक्साम FL की 2 मिली प्रति किलो बीज उपयोग की सलाह दी गई। वहीं, जैविक उपचार में ट्राईकोडर्मा विरीडी, बवेरिया बेसियाना 2 मिली प्रति किलो तथा एनपीके कंसोर्टिया 2 ग्राम प्रति किलो उपयोग करने को कहा गया।
उर्वरकों के संतुलित उपयोग और योजनाओं की जानकारी भी दी
भ्रमण के दौरान किसानों को उर्वरकों के संतुलित और समन्वित उपयोग की सलाह दी गई ताकि फसल उत्पादन में वृद्धि हो और मिट्टी की उर्वरता बनी रहे। साथ ही विभागीय योजनाओं की जानकारी भी किसानों को दी गई, जिससे वे सरकारी सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन का लाभ ले सकें।
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