सोयाबीन फसल में रोग नियंत्रण हेतु फफूंदनाशक के उपयोग की सलाह
03 सितम्बर 2025, सीहोर: सोयाबीन फसल में रोग नियंत्रण हेतु फफूंदनाशक के उपयोग की सलाह – सोयाबीन की फसल इस समय फलन एवं पौड निर्माण की स्थिति में हैं। इस समय सोयाबीन की फसल पर पॉड ब्लाईट कॉलर रॉट, चारकोल रॉट आदि रोगों से बचाव के लिए उपयुक्त फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार सोयाबीन में चारकोल रॉट-संक्रमित पौधों की पत्तियां छोटी व पीली होकर भूरे रंग में परिवर्तित हो जाती है। 167/1 पायरोक्लोस्टोवीन 333 g/l SC 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
इसके अलावा वातावरण में फैलकर सड़न व विल्ट के रूप में नवजात पौधों एवं तनों पर लाल भूरे रंग के सरसों के बीज जैसे गोल-गोल स्क्लेरेशिया बनते हैं, जिससे पौधे मुरझाकर गिर जाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए फफूंद नाशक दवा पायराक्लोस्ट्रोबिन 163 g/1 इपॉक्सी कोनाजोल 50g/1 SE मात्रा 750 मिली या कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत मैंकोजेब 63 प्रतिशत मात्रा 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
सोयाबीन में पॉड ब्लाईट– यह रोग फफूंद, बीज एवं भूमि जनित लगातार वर्षा एवं अत्यधिक नमी के कारण होता है। इस रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. मात्रा 625 मिली या टेबुकोनाजोल 10 % + सल्फर 65 प्रतिशत मात्रा 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
सोयाबीन में राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट- यह रोग गर्म व आई वातावरण में भूमि एवं बीज जनित फफूंद द्वारा फैलता है, इसके प्रकोप में पत्तियों की निचली सतह पर छोटे या बड़े भूरे रंग के लाल अण्डाकार धब्बे बनते हैं। इसके नियंत्रण के लिए फफूंद नाशक दवा टेबुकोनाजोल 10 प्रतिशत $ सल्फर 65 प्रतिशत मात्रा 1.25 किग्रा या पायराक्लोस्ट्रोबिन 20 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. मात्रा 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
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