गौ सेवा की अनूठी पहल, 5 बीघा में बोई ज्वार गायों को मिलेगा हरा चारा और पक्षियों को दाना
20 सितम्बर 2025, इंदौर: गौ सेवा की अनूठी पहल, 5 बीघा में बोई ज्वार गायों को मिलेगा हरा चारा और पक्षियों को दाना – इन दिनों गौ सेवा के लिए विभिन्न प्रकल्प चल रहे हैं। गौ शालाओं में भी कई सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है, इसके बावजूद गायों के लिए हरे चारे की कमी रहती है। इस स्थिति को देखते हुए ग्राम पंचेड़ टप्पा तहसील नामली जिला रतलाम के राजपुरोहित परिवार ने इस वर्ष खरीफ में सोयाबीन फसल लगाने के बजाय पूरे 5 बीघा ज़मीन में चारे के रूप में ज्वार को लगाया है, जिसका वे गौशालाओं में निशुल्क वितरण करेंगे। ज्वार लगाने से जहां गायो को हरा चारा मिलेगा , वहीं पक्षियों को भी दाना मिलेगा।जीव दया के प्रति सेवा और समर्पण का यह प्रयास प्रशंसनीय और अनुकरणीय है। इनका मानना है कि यदि सभी किसान अपनी ज़मीन के 5 -10 % हिस्से में हरे चारे की फसल बोएं तो इससे जहां गायों के पेट की पूर्ति होगी, वहीं पुण्य लाभ भी मिलेगा।
पुत्र श्री करुणेश राजपुरोहित ने कृषक जगत को बताया कि ग्राम पंचेड़ में पिता श्री बसंतीलाल राजपुरोहित की तेजाजी मंदिर के सामने करीब 5 बीघा ज़मीन है। गत 30 वर्षों से खेती के साथ गौ सेवा और जीव दया के कार्य कर रहे हैं। इस साल खरीफ में सोयाबीन की बुवाई की चर्चा के दौरान पिताजी एवं माता श्रीकांता राजपुरोहित ने कहा कि गौ वंश के लिए हरे चारे की समस्या है ,अतः इस वर्ष ऐसी फसल बोएं, जिससे गौ वंश और पक्षियों दोनों की व्यवस्था हो जाए। फिर सबकी सहमति से पूरे 5 बीघा में ज्वार बोने का फैसला किया। जब ज्वार की यह फसल परिपक्व होगी तो इसके दाने पक्षियों की और चारा गाय और नंदियों का पेट भरेंगे। ज्वार के हरे चारे का निशुल्क वितरण गौशालाओं में किया जाएगा। श्री बसंतीलाल पुरोहित कहना है कि यदि सभी किसान अपने खेत के 5 -10 % हिस्से में हरा चारा बोएं और गायों को खिलाएं तो गौ वंश बचेगा और अगली पीढ़ी गोबर और गोमूत्र से जैविक खेती कर पाएंगी।
श्री करुणेश ने उदाहरण देकर बताया कि यदि किसी के पास एक बीघा भी ज़मीन है (जो करीब 21 हज़ार 500 वर्ग फीट होती है ) उसमें से सिर्फ 1 हज़ार वर्ग फीट में ज्वार का हरा चारा साइड में बोएं। यदि गांव में 200 किसान हों और वे ऐसा करते हैं, तो एक गांव में ही 10 बीघा ज़मीन में हरा चारा गायों के लिए तैयार हो जाएगा। बड़े रकबे वाले किसान तो ज़्यादा भी लगा सकते हैं। एक गांव से औसत 10 बीघा हरा चारा निशुल्क मिले तो मप्र में 54903 गांव हैं , तो करीब 549030 बीघा ज़मीन के हरे चारे से गायों और नंदियों के चारे का इंतज़ाम हो जाएगा। इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। कई किसानों ने सहमति दी है। सरकारी ज़मीन पर सरकार भी हरा चारा लगा सकती है। हमारा उद्देश्य यही है कि किसी भी तरह से देसी गौ वंश की सेवा और सुरक्षा हो। बता दें कि राजपुरोहित परिवार के जीविकोपार्जन का साधन उनकी खेती ही है। इसके बावजूद उन्होंने गौ सेवा के लिए पूरे खेत में हरा चारा बोने उसे गौशालाओं को निशुल्क वितरित करने का जो निर्णय लिया है वह उनके गौ सेवा के प्रति समर्पण का परिचायक है। इससे प्रेरित होकर अन्य किसान भी इसे अपनाकर अभियान का रूप दे सकते हैं।
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