केला की फसल के सामने एक नई और गंभीर समस्या
19 सितम्बर 2025, भोपाल: केला की फसल के सामने एक नई और गंभीर समस्या – देश के कई हिस्सों में किसानों द्वारा केले का उत्पादन किया जाता है लेकिन जो जानकारी मिली है उसके अनुसार केला की फसल के सामने एक नई और गंभीर समस्या उभरकर आई है—पीटिंग एवं ब्लास्ट रोग। यह रोग केले के फलों और पत्तियों पर असर डालकर उत्पादन की गुणवत्ता को घटाता है और किसानों की आय को सीधे प्रभावित करता है।
अब तक यह रोग केवल केरल और गुजरात राज्यों में रिपोर्ट हुआ था। लेकिन वर्ष 2022 में पहली बार बिहार के सीतामढ़ी जिले में इसकी पहचान हुई। उस समय शुरुआती संक्रमण दर लगभग 1 प्रतिशत फलों में दर्ज की गई थी। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में यह रोग लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में फैल गया, जहाँ संक्रमण दर 5 से 45 प्रतिशत तक पहुँची। इस वर्ष भी विभिन्न जिलों से इसके प्रकोप की खबरें मिल रही हैं, जिससे किसानों में गहरी चिंता है।
रोग के लक्षण
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार इस रोग के लक्षण मुख्य रूप से केले की परिपक्व पत्तियों, मिड्रिब, पेटीओल, पेडुनेकल और फलों की सतह पर दिखाई देते हैं। फलों पर गड्ढे जैसे धब्बे बन जाते हैं। पत्तियों पर काले-भूरे बदसूरत चकत्ते दिखते हैं। बंच के तनों पर सड़न जैसी स्थिति बनती है।
संक्रमण के कारण
विशेषज्ञ के अनुसार रोग के फैलाव के प्रमुख कारण हैं
- अत्यधिक वर्षा
- खेत में जलभराव और नमी
- खराब जल निकासी
- घनी बागवानी
- इन परिस्थितियों में फफूंद तेजी से पनपता है और फसल को नुकसान पहुंचाता है।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture