लवणता और क्षारीयता गंभीर समस्या बन चुकी है
09 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: लवणता और क्षारीयता गंभीर समस्या बन चुकी है – देश की 47 प्रतिशत ज़मीन (15.97 करोड़ हेक्टेयर) पर खेती हो पाती है। जबकि 67.3 लाख हेक्टेयर जमीन ऐसी है जिसके लिए लवणता और क्षारीयता बहुत गंभीर समस्या बन चुकी है। इससे मिट्टी का उपजाऊपन घटता है और पैदावार गिरती है। लवणता और क्षारीयता की समस्या आमतौर पर ऐसे शुष्क और अर्द्धशुष्क इलाकों में नजर आती है जहाँ लवणीय मिट्टी में मौजूद लवणों का बारिश में बहकर निकलने का इन्तज़ाम नहीं होता या फिर जहां पर्याप्त बारिश नहीं होती। देश में 38 लाख हेक्टेयर ऊसर ज़मीन है, जिसे सुधारकर खेती योग्य बनाने की कोशिशें हो रही हैं।
देश में लवण ग्रस्त जमीन की समस्या खासतौर पर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में बड़े पैमाने पर नज़र आती हैं। इन बड़े राज्यों में देश के कुल लवणीय और क्षारीय मिट्टी की तीन चौथाई इलाका मौजूद है। इसका रकबा करीब 67.3 लाख हेक्टेयर है। लवणीय मिट्टी में सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम या उनके क्लोराइड और सल्फ़ेट ज़्यादा मात्रा में होते हैं। ये सभी तत्व पानी में घुलनशील होते हैं। इन्हीं घुलनशील लवणीय तत्वों की सफेद पपड़ी खेत की मिट्टी की ऊपरी सतह पर बन जाती है।
लवणीय मिट्टी का प्रकोप अक्सर ऐसी ज़मीन पर नज़र आता है जहाँ जलभराव की समस्या होती है। इसलिए इसे जलग्रस्त लवणीय मिट्टी या रेह भूमि भी कहते हैं। जलभराव की वजह से मिट्टी में मौजूद घुलनशील लवण तैरते हुए मिट्टी की ऊपरी सतह पर आ जाते हैं और जल-निकासी का सही इन्तज़ाम नहीं होने की वजह से पानी के वाष्पन के बाद मिट्टी की सतह पर जमे रह जाते हैं। इसीलिए यदि लवणीय मिट्टी में जल निकास का सही इंतज़ाम हो जाए तो इसकी भौतिक दशा सामान्यतः ठीक हो जाती है क्योंकि खेत में सफेद पपड़ी बनकर जमने वाले अधिकांश घुलनशील लवण पानी के साथ बह जाते हैं।
ICAR-भारतीय मिट्टी विज्ञान संस्थान, भोपाल और मिट्टी विज्ञान और कृषि रसायन विभाग, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के विशेषज्ञों के अनुसार, क्षारीय और लवणीय मिट्टी की सफेद पपड़ी को विद्युत चालकता, विनिमय योग्य सोडियम की मात्रा और pH मान के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
मिट्टी का वर्गीकरण
मिट्टी की प्रकृति विद्युत चालकता (डेसी सीमन्स/ मीटर) विनिमय योग्य सोडियम (%) pH मान
लवणीय >4.0 <15 <8.5
क्षारीय और ऊसर <4.0 >15 >8.5
लवणीय-क्षारीय >4.0 <15 <8.5
फसल का चुनाव
लवणीय मिट्टी में सुधार के लिए फसल का चयन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऐसी ज़मीन पर लवण सहनशील फसलों और किस्मों को अपनाना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा पैदावार मिल सके। कम पानी की आवश्यकता वाली तिलहनी फसलें लवणीय जल को आसानी से सहन कर सकती हैं जबकि दलहनी फसलें इसके प्रति बेहद संवेदनशील होती हैं। फसलों की लवण सहनशीलता और उन्नत प्रजातियों का चयन खेत की मिट्टी की प्रकृति पर भी निर्भर करता है। इसलिए सिंचाई जल की लवणता अथवा क्षारीयता को सहन करके ज्यादा उपज देने के लिए विकसित की गयी विभिन्न फसलों की किस्मों को ही अपनाना चाहिए।
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