क्या सच में सबको मिलेगा घर? पीएम आवास योजना ग्रामीण की हकीकत
22 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: क्या सच में सबको मिलेगा घर? पीएम आवास योजना ग्रामीण की हकीकत – प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) को 1 अप्रैल 2016 से लागू किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर जरूरतमंद को पक्का घर और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। योजना ने “सबके लिए आवास” का एक बड़ा वादा किया, लेकिन क्या यह वादा हकीकत में बदला जा सका है? योजना के तहत 2016-17 से 2023-24 तक 2.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा गया था। 13 दिसंबर 2024 तक, 2.68 करोड़ घर पूरे होने का दावा किया गया। अब सरकार ने इसे 2024-25 से 2028-29 तक 5 और वर्षों के लिए बढ़ाते हुए 2 करोड़ और घर बनाने का नया लक्ष्य तय किया है।
कौन हैं योजना के लाभार्थी?
योजना के तहत उन्हीं ग्रामीण परिवारों को शामिल किया गया है, जो बेघर हैं या जिनके पास कच्ची दीवार और छत वाले 0, 1 या 2 कमरे हैं। लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 और आवास+ 2018 सर्वेक्षण के आधार पर की गई। हालांकि, ग्राम सभा और अन्य प्रक्रियाओं के बाद ही सूची को अंतिम रूप दिया गया।
2024 में लाभार्थियों की पहचान को और बेहतर बनाने के लिए आवास+ 2024 मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सर्वेक्षण और ऐप्स के माध्यम से सही और जरूरतमंद लाभार्थियों तक योजना पहुंच रही है?
योजना के तहत कितनी वित्तीय सहायता?
योजना के तहत सामान्य इलाकों में घर निर्माण के लिए ₹1.20 लाख और उत्तर-पूर्वी राज्यों, पहाड़ी राज्यों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में ₹1.30 लाख की वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके अलावा, शौचालय निर्माण के लिए ₹12,000 और मजदूरी के लिए MGNREGS के तहत लगभग ₹27,000 का प्रावधान है।
हालांकि, ग्रामीण इलाकों में महंगाई और निर्माण लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए यह राशि पर्याप्त नहीं लगती। क्या यह धनराशि एक टिकाऊ और सम्मानजनक घर बनाने के लिए पर्याप्त है, यह विचारणीय है।
दावणगेरे जिले की कहानी: क्या यह पर्याप्त है?
कर्नाटक के दावणगेरे जिले में 13 दिसंबर 2024 तक 10,336 घरों को मंजूरी दी गई, जिनमें से 5,100 घरों का निर्माण पूरा हुआ। यह आंकड़ा यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या योजना की रफ्तार और प्रभाव वाकई जरूरतमंदों की उम्मीदों पर खरा उतर पा रहे हैं।
क्या 2024-25 का लक्ष्य पूरा होगा?
योजना के तहत 2024-25 में 40 लाख घर पूरे करने का लक्ष्य है। लेकिन 13 दिसंबर 2024 तक, 37.80 लाख घरों का लक्ष्य राज्यों को दिया गया है और केवल 27.63 लाख लाभार्थियों को स्वीकृतियां दी गई हैं। इस धीमी प्रक्रिया से यह सवाल उठता है कि क्या योजना सही समय पर अपने लक्ष्यों को पूरा कर पाएगी?
योजना की चुनौतियां और प्रभावशीलता
योजना के कार्यान्वयन में कई चुनौतियां दिखाई देती हैं।
- लाभार्थियों की पहचान: SECC 2011 के पुराने आंकड़ों पर निर्भरता के कारण, कई जरूरतमंद परिवार छूट सकते हैं।
- वित्तीय सहायता: वर्तमान सहायता राशि घर निर्माण के लिए अपर्याप्त हो सकती है।
- समय पर निर्माण: धीमी प्रगति और लक्ष्यों को समय पर न पूरा कर पाना योजना की सफलता पर सवाल खड़ा करता है।
क्या बदलने की जरूरत है?
योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लाभार्थियों की पहचान में पारदर्शिता लानी होगी। साथ ही, सहायता राशि में बढ़ोतरी और योजना के कार्यान्वयन में तेजी लाने की आवश्यकता है।
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