राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

आखिर क्यों कम हो गई अरंडी के बीज की खेती, क्या कहते है आंकड़े

25 फ़रवरी 2025, भोपाल: आखिर क्यों कम हो गई अरंडी के बीज की खेती, क्या कहते है आंकड़े – हमारे देश में अरंडी के बीज की खेती भी की जाती है लेकिन मौजूदा वर्ष 2024-25 के दौरान इसकी खेती में गिरावट आई है। जो आंकड़े सामने आए है उसके अनुसार कुल बारह प्रतिशत इस बीज की खेती कम हो गई है।

देश में अरंडी के बीज उत्पादन पर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) की ओर से एग्रीवॉच द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 2024-25 में अरंडी की कुल खेती में गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों में रकबा में कमी है। आज की तारीख में अनुकूल मौसम के कारण उपज में वृद्धि देखी गई है, हालांकि भविष्य की उपज का अनुमान मौसम की स्थिति के आधार पर होगी।

Advertisement
Advertisement

सरकार ने 2024-25 के लिए भारत में अरंडी की खेती का कुल क्षेत्रफल 8.67 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान लगाया है, जो 2023-24 (9.88 लाख हेक्टेयर) से 12 प्रतिशत कम है। रिमोट सेंसिंग का अनुमान है कि रकबा 8.58 लाख हेक्टेयर है। किसान सर्वेक्षण का अनुमान है कि अरंडी का रकबा 8.60 लाख हेक्टेयर है। राष्ट्रीय उपज 2,101 किलोग्राम/हेक्टेयर अनुमान है, जो 2023-24 (1,999 किलोग्राम/हेक्टेयर) से 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। राष्ट्रीय उत्पादन 18.22 लाख टन होने का अनुमान है, जो 2023-24 में 19.75 लाख टन से 8% कम है। सरकार का अनुमान है कि गुजरात में अरंडी का रकबा 6.46 लाख हेक्टेयर है, जो 2023-24 में 7.24 लाख हेक्टेयर से 11 प्रतिशत की गिरावट है। दोबारा बोए गए क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए रिमोट सेंसिंग का रकबा 6.38 लाख हेक्टेयर है, जबकि किसान सर्वेक्षण का अनुमान है कि यह 6.40 लाख हेक्टेयर है। वडोदरा, सुरेंद्रनगर, अहमदाबाद, मोरबी, खेड़ा, पाटन और कच्छ में बड़ी कटौती देखी गई है। उपज 2,281 किलोग्राम/हेक्टेयर है, जो 2023-24 में 2,174 किलोग्राम/हेक्टेयर से 5% की वृद्धि दर्शाती है। राज्य-स्तरीय उत्पादन 14.75 लाख टन अनुमानित है, जो 2023-24 में 15.74 लाख टन से 6 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement