राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

2025 तक यूरिया आयात की आवश्यकता नहीं होगी- केंद्रीय उर्वरक मंत्री मांडविया

6 जून 2022, नयी दिल्ली: 2025 तक यूरिया आयात की आवश्यकता नहीं होगी- केंद्रीय उर्वरक मंत्री मांडविया – (भाषा) केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने गत मंगलवार कहा कि भारत को वर्ष 2025 के अंत तक यूरिया आयात करने की जरूरत  नहीं होगी, क्योंकि पारंपरिक यूरिया और नैनो तरल यूरिया का घरेलू उत्पादन देश की सालाना  डिमांड  को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा ।

वर्तमान में देश में  यूरिया उत्पादन 260 लाख टन है, जबकि पूरे देश की डिमांड  को पूरा करने के लिए लगभग 90 लाख टन यूरिया का आयात करना पड़ता है। इस प्रकार  आयात में कमी होने से सरकार को सालाना करीब 40,000 करोड़ रुपये की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

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उन्होंने पत्रकारों  से चर्चा करते हुए कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि हम 2025 के अंत तक यूरिया मामले में आत्मनिर्भर हो जायेंगे और आयात पर कोई निर्भरता नहीं रहेगी। पारंपरिक यूरिया और नैनो (nano) यूरिया का भारत में उत्पादन मांग से अधिक होगा।’’

श्री मांडविया ने कहा कि पारंपरिक यूरिया के लिए लगभग 60 लाख टन उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी, जबकि नैनो यूरिया का उत्पादन बढ़कर 44 करोड़ बोतल (प्रत्येक 500 मिलीलीटर) प्रतिवर्ष होने का अनुमान है, जो 200 लाख टन पारंपरिक यूरिया के बराबर होगा।

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नैनो यूरिया के उपयोग से छोटे किसानों को लाभ

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श्री मांडविया ने कहा कि कृषकों  ने नैनो यूरिया को अच्छी तरह अपनाया  है जो बहुत उत्साहजनक है। नैनो यूरिया की एक बोतल यूरिया की एक बोरी  के बराबर होती है। मौजूदा समय में नैनो यूरिया का उत्पादन पांच करोड़ बोतल प्रतिवर्ष का हो रहा है। इफको नैनो यूरिया को 240 रुपये प्रति बोतल (500 मिलीलीटर) की दर से बेच रही है।

इफको द्वारा  नैनो यूरिया का  उत्पादन एक अगस्त, 2021 को गुजरात के कलोल में शुरू हुआ।इफको के साथ-साथ दो अन्य उर्वरक कंपनियों आरसीएफ और नेशनल फ़र्टिलाइज़र  द्वारा सात और नैनो यूरिया संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों की आय में औसतन 4,000 रुपये प्रति एकड़ की वृद्धि का अनुमान है।नैनो यूरिया के उपयोग से परिवहन लागत कम होगी और छोटे किसानों को लाभ होगा।

उर्वरक सब्सिडी का बोझ बढ़ा

कुल उर्वरक सब्सिडी गत  वित्त वर्ष के 1.62 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्तवर्ष में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है।चालू वित्तवर्ष में केवल यूरिया पर ही लगभग 70,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी हो जाएगी ।

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