राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

सरकार दे रही है ड्रोन, मशीनें और स्मार्ट टूल्स, लेकिन क्या फायदा उठा पाएंगे छोटे किसान?

06 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: सरकार दे रही है ड्रोन, मशीनें और स्मार्ट टूल्स, लेकिन क्या फायदा उठा पाएंगे छोटे किसान? – खेती को आधुनिक बनाने के लिए केंद्र सरकार कई नई तकनीकों को बढ़ावा दे रही है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने आज राज्यसभा में बताया कि ड्रोन, डिजिटल प्लेटफॉर्म और स्मार्ट मशीनों के जरिए किसानों की मदद की जा रही है। यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने एक लिखित जवाब में दी।

SMAM: मशीनें खरीदने से लेकर किराए तक की सुविधा

‘सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन’ (SMAM) के तहत किसानों को खेती की मशीनें और उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय मदद दी जा रही है। इसमें फसल कटाई के बाद की तकनीकें भी शामिल हैं। साथ ही, कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) और गांव स्तर पर फार्म मशीनरी बैंक (FMB) बनाए जा रहे हैं, ताकि किसान जरूरत के हिसाब से मशीनें किराए पर ले सकें। SMAM के तहत किसान ड्रोन की डेमोन्सट्रेशन, खरीद और ड्रोन सर्विस सेंटर शुरू करने के लिए भी सहायता दी जा रही है।

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‘नमो ड्रोन दीदी’: महिलाओं को ड्रोन का जिम्मा

‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत 2023-24 से 2025-26 तक 15,000 ड्रोन महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (SHG) को देने का लक्ष्य है। 2023-24 में 1094 ड्रोन बांटे गए, जिनमें से 500 इस योजना के तहत थे। बाकी 14,500 ड्रोन 2025-26 तक बांटने की योजना है। मंत्रालय का कहना है कि इससे महिलाओं को रोजगार और स्थायी आय का मौका मिलेगा।

डिजिटल खेती का सपना

सितंबर 2024 में शुरू हुई डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के लिए 2817 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसका मकसद डिजिटल ढांचा तैयार करना है, जिसमें एग्रीस्टैक, कृषि डिसीजन सपोर्ट सिस्टम और मिट्टी की सेहत का नक्शा शामिल है। ‘किसान ई-मित्र’ नाम का AI चैटबॉट भी बनाया गया है, जो PM किसान सम्मान निधि योजना से जुड़े सवालों के जवाब देता है।

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ICAR की नई खोज

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के संस्थान ड्रोन से कीटनाशक और उर्वरक छिड़काव पर शोध कर रहे हैं। इसके अलावा, फसलों में पानी की कमी पहचानने वाला AI डिवाइस, स्मार्ट स्प्रेयर, रोबोटिक ट्रांसप्लांटर और ऑटोमैटिक वीडर जैसी तकनीकें भी विकसित की गई हैं। ये तकनीकें खेती को सटीक और आसान बनाने का दावा करती हैं।

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2014-15 से चल रही ‘सॉयल हेल्थ एंड फर्टिलिटी स्कीम’ के तहत अब तक 24.90 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड (SHC) बांटे जा चुके हैं। ये कार्ड मिट्टी की पोषक स्थिति और उर्वरक की सही मात्रा की जानकारी देते हैं। देशभर में 1068 स्थायी, 163 मोबाइल, 6376 मिनी और 665 गांव स्तर की मिट्टी जांच लैब बनाई गई हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए 7 लाख डेमोन्सट्रेशन, 93,781 ट्रेनिंग और 7425 किसान मेले आयोजित किए गए। साथ ही, 70,002 ‘कृषि सखियों’ को SHC समझने में किसानों की मदद के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

नई तकनीकों और योजनाओं की लंबी फेहरिस्त के बावजूद सवाल यह है कि क्या ये बदलाव छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंच पा रहे हैं? ड्रोन और डिजिटल टूल्स की लागत और इस्तेमाल की जटिलता क्या वाकई खेती को आसान बनाएगी, या यह सिर्फ बड़े किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी? आने वाला वक्त ही इसका जवाब देगा।

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