National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

सहकारिता को टेक्नोलॉजी और प्रोफेशन्लिज़्म के साथ 100 साल और आगे ले जाना  है

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5 जुलाई 2022, नई दिल्ली: सहकारिता को टेक्नोलॉजी और प्रोफेशन्लिज़्म के साथ 100 साल और आगे ले जाना  है – दुनिया ने पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों मॉडल को अपनाया लेकिन ये दोनों ही extreme मॉडल हैं, सहकारी मॉडल मध्यम मार्ग है और यह भारत के लिए सबसे उपयुक्त है

वर्तमान में प्रचलित आर्थिक मॉडल के कारण जो असंतुलित विकास हुआ, उसे सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी बनाने के लिए सहकारिता के मॉडल को लोकप्रिय बनाना होगा जिससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा. पूरी दुनिया की 30 लाख सहकारी समितियों में से 8,55,000 भारत में हैं और लगभग 13 करोड़ लोग सीधे इनसे जुड़े हैं और देश के 91 प्रतिशत गांव ऐसे हैं जिनमें कोई ना कोई सहकारी समिति है.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह 100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आज नई दिल्ली में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। सहकारिता मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “सहकारिता से एक आत्मनिर्भर भारत और बेहतर विश्व का निर्माण”था। समारोह में केंद्रीय डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला, सहकारिता राज्य मंत्री श्री बी. एल. वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभु, सहकारिता मंत्रालय के सचिव श्री ज्ञानेश कुमार, आईसीए-एपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह और एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी समेत देशभर में सहकारिता से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि कई लोगों को लगता है कि सहकारिता विफल रही है लेकिन उन्हें वैश्विक आंकड़ों पर नज़र डालनी चाहिए कि कई देशों की जीडीपी में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान है

हमने देश में सहकारिता के प्राणक्षेत्र को बचाकर रखा है और अमूल, इफ़्को और कृभको का मुनाफ़ा सीधा किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने का काम केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया.

सहकारिता आंदोलन को सिर्फ सहकारिता के सिद्धांत ही लंबा जीवन दे सकते हैं, सहकारिता के सिद्धांतों को छोड़ना ही कुछ PACS के Defunct होने का मूल कारण है

श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने देश की 65,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) के कम्प्यूटरीकरण का निर्णय किया है जिससे PACS, ज़िला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैक और नाबार्ड ऑनलाइन हो जाएंगे.केन्द्र ने PACS के संदर्भ में मॉडल बाय-लॉ (Model By-laws) राज्यों को उनके सुझावों के लिए भेजे हैं ताकि PACS को बहुद्देशीय और बहुआयामी बना जा सके.

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